गणपति देवा मेरे गणपति देवा,
माता तेरी पार्वती,
माता तेरी पार्वती,
पिता महादेवा,
गणपति देवा मेरे गणपति देवा ॥
विघ्न हरण देवा तू कहलाता,
सिद्ध कारज होंवे उसके,
प्रथम जो भी ध्याता,
चरणों में आए हम करने तेरी सेवा,
गणपति देवा मेरे गणपति देवा ॥
देवों में देव प्रभु तू है निराला,
शिव का दुलारा तू है गौरा जी का लाला,
भोग है प्रिय तुम्हें,
मोदक मेवा,
गणपति देवा मेरे गणपति देवा ॥
रिद्धि सिद्धि संग मेरे घर में पधारो,
चरणों की दासी ’भाषा’ काज संवारो,
हर दिन हर पल बप्पा करें तेरी सेवा,
गणपति देवा मेरे गणपति देवा ॥
हिंदू पंचांग के अनुसार, वैशाख मास के शुक्ल पक्ष की तृतीया तिथि को मनाया जाने वाला यह दिन अत्यंत शुभ माना जाता है। ऐसी मान्यता है कि अक्षय तृतीया पर किए गए पुण्य कर्म, दान और पूजा का फल अक्षय (अविनाशी) होता है।
अक्षय तृतीया एक अत्यंत शुभ और पवित्र तिथि मानी जाती है। यह वैशाख मास के शुक्ल पक्ष की तृतीया तिथि को आती है, जिसे ‘अबूझ मुहूर्त’ कहा जाता है। यानी इस दिन किसी भी शुभ कार्य के लिए पंचांग देखने की आवश्यकता नहीं होती।
अक्षय तृतीया अत्यंत शुभ और फलदायी तिथि मानी जाती है। हिंदू धर्म में यह पर्व विशेष महत्व रखता है, क्योंकि ऐसी मान्यता है कि इस दिन जो भी शुभ कार्य किए जाते हैं, उनका फल अक्षय अर्थात् कभी नष्ट न होने वाला होता है। इस दिन धन, सौभाग्य और समृद्धि के लिए मां लक्ष्मी की विधिवत रूप से पूजा की जाती है।
अक्षय तृतीया अत्यंत शुभ और पवित्र तिथि मानी जाती है। इसे ‘अबूझ मुहूर्त’ भी कहा जाता है, जिसका अर्थ है कि इस दिन बिना पंचांग देखे कोई भी शुभ कार्य किया जा सकता है।