गौरी के लाल सुनो,
की कबसे तुझे याद करे,
कीर्तन में आ जाओ,
हाय कीर्तन में आ जाओ,
ये तुमसे फरियाद करे,
गौरी के लाल सुनो,
की कबसे तुझे याद करे ॥
तुझको मनाऊँ देवा,
कबसे बुलाऊँ,
अपनी पलके बिछाऊँ,
अब तो आजा,
गिरिजा के प्यारे,
बाबा शिव के दुलारे,
आजा तुझको
पुकारे गणराजा,
तुम बिन कौन बता,
जो आके पुरे काज करे,
गौरी के लाल सुनों,
की कबसे तुझे याद करे ॥
किरपा दिखा दे,
सारे विघ्न हटा दे,
हमको दर्शन दिखा दे,
मेरे दाता,
आँगन बुहारूँ,
तेरा रस्ता निहारूँ,
तोसे अर्जी गुजारु,
ओ विधाता,
दूजा ना तेरे सिवा,
जो सर पे मेरे हाथ धरे,
गौरी के लाल सुनों,
की कबसे तुझे याद करे ॥
घर को सजा के,
देवा आँगन महका के,
तेरी ज्योत जगा के,
हम बुलाएँ,
नारियल चढ़ा के,
तेरे भोग लगा के,
तेरी महिमा को,
गाके हम सुनाए,
‘हर्ष’ ना देरी करो,
विनती ये तेरा दास करे,
गौरी के लाल सुनों,
की कबसे तुझे याद करे ॥
गौरी के लाल सुनो,
की कबसे तुझे याद करे,
कीर्तन में आ जाओ,
हाय कीर्तन में आ जाओ,
ये तुमसे फरियाद करे,
गौरी के लाल सुनो,
की कबसे तुझे याद करे ॥
प्रयागराज का महाकुंभ फिलहाल पूरी दुनिया में चर्चा का विषय है। महाकुंभ में इस बार भी देश-विदेश से करोड़ों श्रद्धालु पवित्र संगम में स्नान करने के लिए इकट्ठा हुए हैं। महाकुंभ का आयोजन हर 12 साल में एक बार होता है।
पंचांग के अनुसार, इस साल मौनी अमावस्या बुधवार, 29 जनवरी 2025 को है। बता दें कि माघ माह की अमावस्या को ही मौनी अमावस्या भी कहा जाता है। हिंदू धर्म में इस दिन का विशेष महत्व होता है। इसे माघी अमावस्या भी कहा जाता है।
फिलहाल, जोर-शोर से महाकुंभ चल रहा है। इसमें नागा साधु के अलावा विभिन्न प्रकार के साधु-संन्यासी लोगों के आकर्षण का केंद्र बने हुए हैं। देश के कोने-कोने से यहां साधु-संत पहुंचे हैं।
नागा साधु एक विशेष प्रकार के संन्यासी होते हैं, जो अपनी साधना और तपस्या के लिए कठोर जीवनशैली अपनाते हैं। जबकि वे कुंभ मेले जैसे विशेष अवसरों पर पवित्र नदियों में स्नान करते हैं, सामान्य साधु की तरह वे रोज नहाने पर विश्वास नहीं करते।