गौरी के लाल सुनो,
की कबसे तुझे याद करे,
कीर्तन में आ जाओ,
हाय कीर्तन में आ जाओ,
ये तुमसे फरियाद करे,
गौरी के लाल सुनो,
की कबसे तुझे याद करे ॥
तुझको मनाऊँ देवा,
कबसे बुलाऊँ,
अपनी पलके बिछाऊँ,
अब तो आजा,
गिरिजा के प्यारे,
बाबा शिव के दुलारे,
आजा तुझको
पुकारे गणराजा,
तुम बिन कौन बता,
जो आके पुरे काज करे,
गौरी के लाल सुनों,
की कबसे तुझे याद करे ॥
किरपा दिखा दे,
सारे विघ्न हटा दे,
हमको दर्शन दिखा दे,
मेरे दाता,
आँगन बुहारूँ,
तेरा रस्ता निहारूँ,
तोसे अर्जी गुजारु,
ओ विधाता,
दूजा ना तेरे सिवा,
जो सर पे मेरे हाथ धरे,
गौरी के लाल सुनों,
की कबसे तुझे याद करे ॥
घर को सजा के,
देवा आँगन महका के,
तेरी ज्योत जगा के,
हम बुलाएँ,
नारियल चढ़ा के,
तेरे भोग लगा के,
तेरी महिमा को,
गाके हम सुनाए,
‘हर्ष’ ना देरी करो,
विनती ये तेरा दास करे,
गौरी के लाल सुनों,
की कबसे तुझे याद करे ॥
गौरी के लाल सुनो,
की कबसे तुझे याद करे,
कीर्तन में आ जाओ,
हाय कीर्तन में आ जाओ,
ये तुमसे फरियाद करे,
गौरी के लाल सुनो,
की कबसे तुझे याद करे ॥
प्रदोष व्रत भगवान शिव की पूजा को समर्पित एक पवित्र दिन है। इसे हर माह के कृष्ण और शुक्ल पक्ष की त्रयोदशी तिथि को रखा जाता है। मान्यता है कि इस व्रत का पालन करने से भक्तों को मनोवांछित फल की प्राप्ति होती है।
मार्गशीर्ष माह के शुक्ल पक्ष की द्वादशी को मत्स्य द्वादशी के रूप में मनाया जाता है। यह दिन भगवान विष्णु के मत्स्य अवतार को समर्पित है।
अनंग त्रयोदशी हिंदू धर्म में प्रेम और दांपत्य जीवन को सुदृढ़ करने वाला महत्वपूर्ण पर्व है। इसे मार्गशीर्ष माह के शुक्ल पक्ष की त्रयोदशी तिथि को मनाया जाता है। 2024 में यह तिथि 13 दिसंबर को पड़ रही है।
सनातन धर्म में प्रदोष व्रत भगवान शिव और मां पार्वती को समर्पित है। 2024 में शुक्रवार, 13 दिसंबर को शुक्र प्रदोष व्रत का शुभ अवसर है।