हरी हरी भांग का मजा लीजिये(Hari Hari Bhang Ka Maja Lijiye)

हरी हरी भांग का मजा लीजिये,

सावन में शिव की बूटी पिया कीजिये,

सावन में शिव की बूटी पिया कीजिये ॥


इसकी हर पत्ती में अज़ब खुमार है,

इसीलिए भंग भोले पीते बार बार है,

भंग पिके प्रेम शिव से बढ़ा लीजिये,

सावन में शिव की बूटी पिया कीजिये,

सावन में शिव की बूटी पिया कीजिये ॥


सावन महीना तो बस एक बहाना है,

भंग बूटी पीने का तो चलन पुराना है,

भंग की तरंग से ना डरा कीजिये,

सावन में शिव की बूटी पिया कीजिये,

सावन में शिव की बूटी पिया कीजिये ॥


करामात भंग में भारी दुरी सब मिटाये रे,

भंग के दीवानो को बस नजर शिव ही आये रे,

लेके शिव का नाम घुट भरा कीजिये,

सावन में शिव की बूटी पिया कीजिये,

सावन में शिव की बूटी पिया कीजिये ॥


एक सौ आठ लोटा भंग पिके ‘राजू’ गाये रे,

भंग ही ‘पवन’ भक्तो को शिव से मिलाये रे,

यूँ ना अपने आपको सजा दीजिये,

सावन में शिव की बूटी पिया कीजिये,

सावन में शिव की बूटी पिया कीजिये ॥


हरी हरी भांग का मजा लीजिये,

सावन में शिव की बूटी पिया कीजिये,

सावन में शिव की बूटी पिया कीजिये ॥

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