जय भोले शंकर जय गंगाधारी,
देवो के देवा हे महादेवा,
भोले भंडारी चंदा के धारी,
भोले भंडारी त्रिनेत्र धारी,
देवो के देवा हे महादेवा,
जय भोलें शंकर जय गंगाधारी,
देवो के देवा हे महादेवा ॥
ऊँचे कैलाश पे डेरा है डाला,
अद्भुत अनुपम रूप निराला,
गंगा जल से खुश हो जाते,
जिसने शिवलिंग पर है डाला,
भक्तो की सारी विपदाएँ टाली,
भक्तो की सारी विपदाएँ टाली,
देवो के देवा हे महादेवा,
जय भोलें शंकर जय गंगाधारी,
देवो के देवा हे महादेवा ॥
असुरो को भी वर दे डाले,
शिव शंकर मेरे भोले भाले,
ब्रम्हा को वेद दिए रावण को लंका,
शिव शम्भु तेरे खेल निराले,
भर दी है जिसने झोली पसारी,
भर दी है जिसने झोली पसारी,
देवो के देवा हे महादेवा,
जय भोलें शंकर जय गंगाधारी,
देवो के देवा हे महादेवा ॥
पार्वती के संग विराजे,
गणपत कार्तिक गोद में साजे,
तेरी महिमा जग से निराली,
तीन लोक में डंका बाजे,
चरणों में झुकती श्रष्टि है सारी,
चरणों में झुकती श्रष्टि है सारी,
देवो के देवा हे महादेवा,
जय भोलें शंकर जय गंगाधारी,
देवो के देवा हे महादेवा ॥
जय भोले शंकर जय गंगाधारी,
देवो के देवा हे महादेवा,
भोले भंडारी चंदा के धारी,
भोले भंडारी त्रिनेत्र धारी,
देवो के देवा हे महादेवा,
जय भोलें शंकर जय गंगाधारी,
देवो के देवा हे महादेवा ॥
प्रत्येक वर्ष माघ मास के शुक्ल पक्ष की चतुर्थी तिथि को गणेश जयंती मनाई जाती है। इसे विनायक चतुर्थी अथवा वरद चतुर्थी के नाम से भी जाना जाता है।
सनातन हिंदू धर्म में नवरात्रि के पर्व को नारी शक्ति और देवी दुर्गा का प्रतीक माना जाता है। यह त्योहार देवी दुर्गा के नौ रूपों की पूजा को समर्पित है।
विनायक चतुर्थी भगवान गणेश जी को समर्पित है। यह प्रत्येक महीने शुक्ल पक्ष की चतुर्थी तिथि को मनाया जाता है। इस दिन भगवान गणेश की पूजा-अर्चना करने से भक्तों की मनोकामनाएं पूर्ण होती हैं। साथ ही सभी दुखों का नाश होता है।
माघ शुक्ल की पंचमी तिथि को बसंत पंचमी का उत्सव मनाया जाता है। सनातन धर्म के लोगों के लिए ये दिन बहुत खास होता है क्योंकि ऐसा माना जाता है कि इस दिन ज्ञान की देवी सरस्वती प्रकट हुई थीं। इसलिए इस दिन माता सरस्वती की पूजा की जाती है।