जैसे तुम सीता के राम
जैसे लक्ष्मण के सम्मान
जैसे हनुमत के भगवान
वैसे ही हे राम! मम पूजा स्वीकार करो
जैसे तुम सीता के राम
जैसे तुम ताड़िका संहारी
जैसे शूर्पणखा को तारे
जैसे पीड़ा सबरी हारी
जैसे वानर मित्र बनाये
जैसे नाविक ह्रदये लगाए
वैसे बजरंग मन ही बसाये
वैसे ही मेरे नाथ दास का
वंदन अंगीकार करो
मम पूजा स्वीकार करो
जैसे तुम सीता के राम
जैसे सहज जटायू तारा
जैसे ऋषिमुनि दुःख को हारा
जैसे भरत रहा है प्यारा
जैसे भक्तो के रखवारे
जैसे दुखियो के दुःख हारे
वैसे संतो के हो प्यारे
वैसे ही हे राम! आसरा माया से उद्धार करो
मम पूजा स्वीकार करो
जैसे तुम सीता के राम
जैसे तुम सीता के राम
जैसे लक्ष्मण के सम्मान
जैसे हनुमत के भगवान
वैसे ही हे राम! मम पूजा स्वीकार करो
हिंदू पंचांग के अनुसार, परशुराम द्वादशी वैशाख मास के शुक्ल पक्ष की द्वादशी तिथि को मनाई जाती है। यह दिन भगवान विष्णु के छठे अवतार, भगवान परशुराम को समर्पित हैI
परशुराम द्वादशी वैशाख मास के शुक्ल पक्ष की द्वादशी तिथि को मनाई जाती है। यह दिन भगवान विष्णु के छठे अवतार, भगवान परशुराम की पूजा को समर्पित है। परशुराम द्वादशी विशेष रूप से संतान प्राप्ति के लिए मनाया जाता है।
परशुराम द्वादशी का पर्व भगवान विष्णु के छठे अवतार परशुराम जी को समर्पित है, जो वैशाख मास के शुक्ल पक्ष की द्वादशी तिथि को मनाया जाता है। धार्मिक मान्यता के अनुसार, यह व्रत विशेष रूप से संतान के प्राप्ति की कामना रखने वाले लोगों के लिए फलदायी होता हैं।
हिंदू धर्म में प्रदोष व्रत का विशेष महत्व है, जो भगवान शिव और माता पार्वती को समर्पित होता है। यह व्रत सभी पक्ष की त्रयोदशी तिथि को मनाया जाता है।