जैसे तुम सीता के राम (Jaise Tum Sita Ke Ram)

जैसे तुम सीता के राम

जैसे लक्ष्मण के सम्मान

जैसे हनुमत के भगवान

वैसे ही हे राम! मम पूजा स्वीकार करो

जैसे तुम सीता के राम


जैसे तुम ताड़िका संहारी

जैसे शूर्पणखा को तारे

जैसे पीड़ा सबरी हारी

जैसे वानर मित्र बनाये

जैसे नाविक ह्रदये लगाए

वैसे बजरंग मन ही बसाये

वैसे ही मेरे नाथ दास का

वंदन अंगीकार करो

मम पूजा स्वीकार करो

जैसे तुम सीता के राम


जैसे सहज जटायू तारा

जैसे ऋषिमुनि दुःख को हारा

जैसे भरत रहा है प्यारा

जैसे भक्तो के रखवारे

जैसे दुखियो के दुःख हारे

वैसे संतो के हो प्यारे

वैसे ही हे राम! आसरा माया से उद्धार करो

मम पूजा स्वीकार करो

जैसे तुम सीता के राम


जैसे तुम सीता के राम

जैसे लक्ष्मण के सम्मान

जैसे हनुमत के भगवान

वैसे ही हे राम! मम पूजा स्वीकार करो

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कार्तिक मास के शुक्ल पक्ष की प्रबोधिनी एकादशी (Kaartik Maas Ke Shukl Paksh Kee Prabodhinee Ekaadashee)

ब्रह्माजी ने कहा कि हे मनिश्रेष्ठ ! गंगाजी तभई तक पाप नाशिनी हैं जब तक प्रबोधिनी एकादशी नहीं आती। तीर्थ और देव स्थान भी तभी तक पुण्यस्थल कहे जाते हैं जब तक प्रबोधिनी का व्रत नहीं किया जाता।

मैं तो आरती उतारूँ रे संतोषी माता की - माँ संतोषी भजन (Main Toh Aarti Utaru Re Santoshi Mata Ki)

मैं तो आरती उतारूँ रे संतोषी माता की ।
मैं तो आरती उतारूँ रे संतोषी माता की ।

भीष्म अष्टमी की पूजा विधि

सनातन धर्म में भीष्म अष्टमी का विशेष महत्व माना गया है। माघ मास के शुक्ल पक्ष की अष्टमी तिथि को ‘भीष्म अष्टमी’ कहा जाता है।

चंद्रदर्शन कब करें

हिंदू धर्म में चंद्र दर्शन को अत्यंत पवित्र और लाभकारी माना गया है। धार्मिक मान्यताओं के अनुसार चंद्रमा मन के संचालन का कारक होता है। चंद्र दर्शन के दिन चंद्र देव की पूजा करने से मन को शांति, जीवन में समृद्धि और सौभाग्य की प्राप्ति होती है। ज्योतिष के अनुसार कमजोर चंद्रमा वाले जातकों को विशेष रूप से इस दिन व्रत और पूजा करनी चाहिए।

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