कृष्ण जिनका नाम है,
गोकुल जिनका धाम है,
ऐसे श्री भगवान को,
बारंबार प्रणाम है।
यशोदा जिनकी मैया है,
नंद जी बापैया है,
ऐसे श्री गोपाल को,
बारंबार प्रणाम है।
॥ कृष्ण जिनका नाम है...॥
लूट-लूट दधि माखन खायो,
ग्वाल-बाल संग धेनु चरायो,
ऐसे लीला-धाम को,
बारंबार प्रणाम है।
॥ कृष्ण जिनका नाम है...॥
कृष्ण जिनका नाम है,
गोकुल जिनका धाम है,
ऐसे श्री भगवान को,
बारंबार प्रणाम है।
॥ कृष्ण जिनका नाम है...॥
ध्रुपद सुता की लाज बचायो,
गजेन्द्र-गज को फ़ंद छुड़ायो,
ऐसे किरपा-धाम को,
बारंबार प्रणाम है।
॥ कृष्ण जिनका नाम है...॥
कृष्ण जिनका नाम है,
गोकुल जिनका धाम है,
ऐसे श्री भगवान को,
बारंबार प्रणाम है।
महाकुंभ मेला (Mahakumbh Mela 2025) हर बार ज्योतिषीय गणना के आधार पर आयोजित किया जाता है, जिसमें बड़ी संख्या में साधु-संत भाग लेते हैं। यह मेला 12 साल के अंतराल में आयोजित होता है, और इस बार इसका भव्य आयोजन प्रयागराज में होने जा रहा है।
हिंदू धर्म में भगवान गणेश की पूजा मोदक के भोग के बिना अधूरी मानी जाती है। बप्पा को मोदक बेहद प्रिय है। आप कितने भी 56 भोग भगवान को भोग लगा दें, लेकिन मोदक के बिना पूजा पूर्ण नहीं मानी जाती है। अब ऐसे में आखिर भगवान गणेश को मोदक इतना क्यों प्रिय है। आइए भक्त वत्सल के इस लेख में विस्तार से जानते हैं।
महाकुंभ के धार्मिक त्यौहार में श्रद्धालुओं और साधु संतों का जमावड़ा नजर आने वाला है। इस मौके पर लाखों श्रद्धालु और साधु संत प्रयागराज में एकत्रित होंगे और आस्था की डुबकी लगाएंगे। महाकुंभ के दौरान कुल छह शाही स्नान होंगे, जिनमें से पहला शाही स्नान 13 जनवरी को पौष पूर्णिमा पर होगा।
महाकुंभ मेला हर 12 साल में भारत के चार पवित्र स्थलों—प्रयागराज, हरिद्वार, उज्जैन और नासिक—में आयोजित किया जाता है। साल 2025 में यह दिव्य आयोजन प्रयागराज में होगा, जो लगभग 30 से 45 दिनों तक चलेगा।