मैं हर दिन हर पल हर लम्हा,
माँ ज्वाला के गुण गाता हूँ,
आ गई माँ सिरसा में रहने,
सबको यूँ बतलाता हूँ ॥
भक्तों ने जा भवन तुम्हारे,
तुमको शीश नवाया माँ,
हाथ जोड़कर करी बिनती,
संग में चलो महामाया,
मैं बैठ सामने ज्योत तेरी के,
मीठे भजन सुनाता हूँ,
आ गई माँ सिरसा में रहने,
सबको यूँ बतलाता हूँ ॥
सुंदर सी चौकी पर माँ,
मखमल गद्दी लगवाउँ मैं,
रूप सिंगारन पुष्प सुगंधित,
ताजी कलियां लाऊं मैं,
मैं खुद दर्शन कर रोज सवेरे,
सबको दर्श कराता हूँ,
आ गई माँ सिरसा में रहने,
सबको यूँ बतलाता हूँ ॥
‘माँ भगवती सेवा दल’,
ये करे तुम्हारी सेवा माँ,
भोग लगाने लाते मैया,
हलवा पुरी मेवा माँ,
माँ सिरसा मे रहे वास तुम्हारा,
यही मैं अर्ज लगाता हूँ,
आ गई माँ सिरसा में रहने,
सबको यूँ बतलाता हूँ ॥
मैं हर दिन हर पल हर लम्हा,
माँ ज्वाला के गुण गाता हूँ,
आ गई माँ सिरसा में रहने,
सबको यूँ बतलाता हूँ ॥
ब्रह्म लोके च ये सर्पाःशेषनागाः पुरोगमाः।
लाङ्गूलमृष्टवियदम्बुधिमध्यमार्ग , मुत्प्लुत्ययान्तममरेन्द्रमुदो निदानम्।
श्रीमत्पयोनिधिनिकेतन चक्रपाणेभोगीन्द्रभोगमणिरञ्जितपुण्यमूर्ते।
अग्रे कुरूणामथ पाण्डवानांदुःशासनेनाहृतवस्त्रकेशा।