मत रोवे ऐ धौली धौली गाय,
दुनियाँ में अड़े कोई ना सुखी,
मत रोवे ऐ धौली धौली गाय,
दुनियाँ में अड़े कोई ना सुखी,
मैं तो एकली खड़ी बण में,
आज मेरा कोई नहीं धणी,
दुनियाँ में अड़े कोई ना सुखी ।
मैं तो वृन्दावन में जाया करती,
मैं तो हरी हरी दूब चरा करती,
मैं तो जमुना का नीर पिया करती,
मैं तो बंसरी की धुन सुण के,
खूब उगाळा करती ।
मत रोवे ऐ धौली धौली गाय,
दुनियाँ में अड़े कोई ना सुखी ।
मैं तो नन्द गाँव में जाया करती,
मेरा राधा दूध निकाला करती,
मैं छह सर दूध दिया करती,
वा राधा खीर बनाया करती,
वा ते सबते पहले हे,
मैंने ही चखाया करती ।
मत रोवे ऐ धौली धौली गाय,
दुनियाँ में अड़े कोई ना सुखी ।
मैं तो नन्द गाँव में जाया करती,
हुड़े दूध गुजरी बिलोया करती,
हुड़े कृष्ण भोग लगाया करता,
वो तो सबते पहल्या हे,
मैंने ही जिमाया करता ।
मत रोवे ऐ धौली धौली गाय,
दुनियाँ में अड़े कोई ना सुखी ।
मैं तो वृन्दावन में जाया करती,
हुड़े कृष्ण रास रचाया करता,
हुड़े राधा रानी नाच्या करती,
मैं तो बंसरी की धुन सुनकर,
नाच दिखाया करती ।
मत रोवे ऐ धौली धौली गाय,
दुनियाँ में अड़े कोई ना सुखी ।
मैं तो चंद्रभान की चेली सूं,
बिना डर के फिरूं अकेली सूं,
कदे आवे कृष्ण काला,
देखू मैं तो बाट खड़ी ।
मत रोवे ऐ धौली धौली गाय,
दुनियाँ में अड़े कोई ना सुखी ।
मैं तो एकली खड़ी बण में,
आज मेरा कोई नहीं धणी,
मैं तो एकली खड़ी बण में,
आज मेरा कोई नहीं धणी,
इस बार 29 अक्तूबर 2024 को धनतेरस का पर्व विशेष रूप से महत्वपूर्ण रहेगा। क्योंकि, इस दिन 100 साल बाद पांच शुभ संयोग एक साथ बनने जा रहे हैं।
धनतेरस में खरीदारी का विशेष महत्व है। इस दिन मां लक्ष्मी को प्रसन्न करने के लिए राशिनुसार कुछ विशेष वस्तुएं खरीदना अत्यंत शुभ होता है।
धनतेरस का पर्व धन, समृद्धि और खुशहाली का प्रतीक है। इस दिन यम नियम से वस्तुएं खरीदने से मां लक्ष्मी प्रसन्न होती हैं और घर में धन-धान्य और ऐश्वर्य निवास करता है।
भारत में धनतेरस, जिसे धन त्रयोदशी के नाम से भी जाना जाता है, पांच दिवसीय दिवाली उत्सव की शुरुआत मानी जाती है। इस वर्ष यह दिन आज यानी 29 अक्टूबर (मंगलवार) को है।