मुकुन्द माधव गोविन्द बोल (Mukund Madhav Govind Bol)

मुकुट सिर मोर का,

मेरे चित चोर का ।

दो नैना सरकार के,

कटीले हैं कटार से ॥


कमल लज्जाये तेरे,

नैनो को देख के ।

भूली घटाएँ तेरी,

कजरे की रेख पे ।

यह मुखड़ा निहार के,

सो चाँद गए हार के,

दो नैना सरकार के,

कटीले हैं कटार से ॥


मुकुट सिर मोर का,

मेरे चित चोर का ।

दो नैना सरकार के,

कटीले हैं कटार से ॥


कुर्बान जाऊं तेरी,

बांकी अदाओं पे ।

पास मेरे आजा तोहे,

भर मैं भर लूँ मैं बाहों में ।

जमाने को विसार के,

दिलो जान तोपे वार के,

दो नैना सरकार के,

कटीले हैं कटार से ॥


मुकुट सिर मोर का,

मेरे चित चोर का ।

दो नैना सरकार के,

कटीले हैं कटार से ॥


रमण बिहारी नहीं,

तुलना तुम्हारी।

तुझ सा ना पहले,

कोई ना देखा अगाडी ।

दीवानों ने विचार के,

कहा यह पुकार के,

दो नैना सरकार के,

कटीले हैं कटार से ॥


मुकुट सिर मोर का,

मेरे चित चोर का ।

दो नैना सरकार के,

कटीले हैं कटार से ॥


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नर्मदा नदी की कथा

नर्मदा नदी पहाड़, जंगल और कई प्राचीन तीर्थों से होकर गुजरती हैं। वेद, पुराण, महाभारत और रामायण सभी ग्रंथों में इसका जिक्र है। इसका एक नाम रेवा भी है। माघ माह में शुक्ल पक्ष सप्तमी को नर्मदा जयन्ती मनायी जाती है।

मेरा छोड़ दे दुपट्टा नन्दलाल - भजन (Mera Chhod De Dupatta Nandlal)

मेरा छोड़ दे दुपट्टा नन्दलाल,
सवेरे दही लेके आउंगी,

यह तो प्रेम की बात है उधो (Ye Too Prem Ki Baat Hai Udho)

यह तो प्रेम की बात है उधो,
बंदगी तेरे बस की नहीं है।

वर दे, वीणा वादिनि वर दे: सरस्वती वंदना (Var De Veena Vadini Var De: Saraswati Vandana)

वर दे, वीणावादिनि वर दे ।
प्रिय स्वतंत्र रव, अमृत मंत्र नव

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