पटना के घाट पर,
हमहु अरगिया देब,
हे छठी मइया,
पटना के घाट पर,
हमहु अरगिया देब,
हे छठी मइया,
हम ना जाइब दूसर घाट,
देखब ऐ छठी मइया,
हम ना जाइब दूसर घाट,
देखब ऐ छठी मइया ॥
सूप लेले ठाड़ बाड़े,
डोम डोमिनिया,
देखब ऐ छठी मैया,
ओरि सुपे अरग देवाइब,
देखब हे छठी मइया ॥
फूल लेले ठाड़ बाड़े,
मलिन मलिनिया,
देखब हे छठी मइया,
ओहि फुले हारवा गोथाइब,
देखब हे छठी मइया ॥
केला सेब नरियल किने,
गइनी हम बजरिया,
देखब हे छठी मइया,
ओहि जगह होता देरिया,
देखब हे छठी मइया ॥
भूल चूक हमरी मइया,
राखब धिआनिया,
देखब हे छठी मइया,
हमरो अरगिया देहब मान,
देखब हे छठी मइया ॥
पटना के घाट पर,
हमहु अरगिया देब,
हे छठी मइया,
हम ना जाइब दूसर घाट,
देखब ऐ छठी मइया ॥
हम ना जाइब दूसर घाट,
देखब ऐ छठी मइया ॥
हम ना जाइब दूसर घाट,
देखब ऐ छठी मइया ॥
हम ना जाइब दूसर घाट,
देखब ऐ छठी मइया ॥
गुप्त नवरात्रि का समय तांत्रिक साधनाओं और दिव्य उपायों के लिए अत्यंत महत्वपूर्ण माना जाता है। 2025 में आषाढ़ गुप्त नवरात्रि 26 जून से 04 जुलाई तक मनाई जाएगी। इस नवरात्रि से पूर्व कुछ सरल लेकिन प्रभावशाली उपाय करने से जीवन की समस्याओं का समाधान संभव होता है।
हिंदू पंचांग के अनुसार, आषाढ़ गुप्त नवरात्रि 2025 में 26 जून से प्रारंभ होकर 4 जुलाई तक चलेगी। यह नवरात्रि विशेष रूप से तांत्रिक साधना, सिद्धि प्राप्ति और देवी दुर्गा की दस महाविद्याओं की उपासना के लिए जानी जाती है।
गुप्त नवरात्रि हिंदू धर्म की सबसे रहस्यमयी और शक्तिशाली साधनाओं में से एक मानी जाती है। यह पर्व वर्ष में माघ और आषाढ़ मास में मनाया जाता है। इसमें देवी दुर्गा के दस महाविद्याओं के रूपों की पूजा की जाती है, जो तांत्रिक साधना की दृष्टि से अत्यंत फलदायी मानी जाती हैं।
गुप्त नवरात्रि, साल में दो बार माघ और आषाढ़ मास में आती है। यह नवरात्रि तांत्रिक साधना, मंत्र सिद्धि और विशेष रूप से शक्ति की उपासना के लिए मानी जाती है। इस समय देवी दुर्गा के दस महाविद्याओं की पूजा की जाती है और साधक अत्यंत संयम, नियम और गुप्त विधियों से देवी आराधना करते हैं।