हर हर महादेव, हर हर महादेव,
जय भवानी, जय भवानी,
जय भवानी, जय भवानी,
पापियो के नाश को,
धर्म के प्रकाश को,
श्री रामजी की सेना चली,
रामजी की सेना चली ॥
पाप अनाचार में,
घोर अंधकार में,
एक नई ज्योति जली,
श्री राम जी की सेना चली,
रामजी की सेना चली ॥
निशिचर हीन करेंगे धरती,
यह प्रण है श्री राम का,
जब तक काम न पूरण होगा,
नाम नही विश्राम का,
उसे मिटानें चलें की जिसका,
मंत्र वयम रक्षाम का,
समय आ गया निकट राम और,
रावण के संग्राम का,
तीनो लोक धन्य है,
देवता प्रसन्न है,
तीनो लोक धन्य है,
देवता प्रसन्न है,
आज मनोकामना फली,
श्री राम जी की सेना चली,
रामजी की सेना चली ॥
रामचन्द्र जी के संग लक्ष्मण,
कर में लेकर बाण चले,
लिए विजय विश्वास ह्रदय में,
संग वीर हनुमान चले,
सेना संग सुग्रीव, नील, नल,
अंगद छाती तान चले,
उसे बचाए कौन के जिसका,
वध करने भगवान चले,
आगे रघुनाथ है,
वीर साथ साथ है,
एक से एक बलि,
श्री रामजी की सेना चली,
रामजी की सेना चली ॥
हिंदू पंचांग के अनुसार, गंगा सप्तमी का पर्व वैशाख शुक्ल पक्ष की सप्तमी तिथि को मनाया जाता है। धार्मिक मान्यता के अनुसार इस दिन मां गंगा धरती पर अवतरित हुई थीं।
भानु सप्तमी एक महत्वपूर्ण दिन है, जो सूर्य देव को समर्पित है। इस दिन सूर्य देव की पूजा का विशेष विधान शास्त्रों में वर्णित है। धार्मिक मान्यता के अनुसार, सप्तमी तिथि पर सूर्य देव अवतरित हुए थे। इसलिए इस तिथि पर सूर्य देव की पूजा और व्रत करने का विधान है।
भानु सप्तमी इस साल 4 मई, रविवार को है और इस दिन सूर्य देव की पूजा का विशेष महत्व है। सप्तमी तिथि को बड़ा ही शुभ माना जाता है, खासकर जब यह रविवार के दिन पड़ती है। इस दिन मध्याहन के समय सूर्य देव की पूजा करने से सारी मनोकामनाएं पूरी हो सकती हैं।
भानु सप्तमी एक महत्वपूर्ण हिंदू पर्व है, जो सूर्य देव की पूजा के लिए समर्पित है। इस दिन सूर्य देव की आराधना करने से व्यक्ति को अपने जीवन में सुख-समृद्धि और सफलता प्राप्त होती है। पौराणिक कथाओं के अनुसार, भानु सप्तमी का व्रत करने से न केवल भौतिक सुखों की प्राप्ति होती है, बल्कि यह आत्मिक शांति और मोक्ष का मार्ग भी प्रशस्त करता है।