सावन की बरसे बदरिया
सावन की बरसे बदरिया,
माँ की भीगी चुनरीया,
भीगी चुनरिया माँ की ॥
लाल चुनड माँ की चम चम चमकै,
माथे कि बिंदिया भी दम दम दमकै,
हाथो मे झलके कंगणिया,
माँ की भिगी चुनरिया ॥
॥ सावन की बरसे बदरिया...॥
छाई हरियाली, झूमे अम्बुआ की डाली,
होके मतवाली, कुके कोकलिया काली,
बादल मे कडके बिजुरिया,
माँ की भीगी चुनरिया ॥
॥ सावन की बरसे बदरिया...॥
ऊँचा भवन तेरा ऊँचा है डेरा,
कैसे चढूं, पाँव फ़िसले है मेरा,
तेढी मेढी है डगरिया,
माँ की भीगी चुनरिया ॥
॥ सावन की बरसे बदरिया...॥
काली घता पानी भर भर के लाई,
झूला झुले जगदम्बे भवानी,
हम सब पे माँ की नजरिया,
माँ की भीगी चुनरिया ॥
॥ सावन की बरसे बदरिया...॥
सावन की बरसे बदरिया
सावन की बरसे बदरिया,
माँ की भीगी चुनरीया,
भीगी चुनरिया माँ की॥
पंचांग के अनुसार फाल्गुना माह के शुक्ल पक्ष की एकादशी तिथि है। इस तिथि पर पुष्य नक्षत्र और शोभन योग का संयोग बन रहा है। वहीं चंद्रमा कर्क राशि में हैं और सूर्य कुंभ राशि में मौजूद हैं।
पंचांग के अनुसार फाल्गुना माह के शुक्ल पक्ष की द्वादशी तिथि है। इस तिथि पर आश्लेषा नक्षत्र और अतिगण्ड योग का संयोग बन रहा है। वहीं चंद्रमा कर्क राशि में हैं और सूर्य कुंभ राशि में मौजूद हैं।
पंचांग के अनुसार फाल्गुना माह के शुक्ल पक्ष की त्रयोदशी तिथि है। इस तिथि पर मघा नक्षत्र और सुकर्मा योग का संयोग बन रहा है। वहीं चंद्रमा सिंह राशि में हैं और सूर्य कुंभ राशि में मौजूद हैं।
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