तेरा किसने किया श्रृंगार सांवरे,
तू लगे दूल्हा सा दिलदार सांवरे ।
तेरा किसने किया श्रृंगार सांवरे,
तू लगे दूल्हा सा दिलदार सांवरे ।
मस्तक पर मलियागिरी चन्दन,
केसर तिलक लगाया ।
मोर मुकुट कानो में कुण्डल,
इत्र खूब बरसाया ।
महकता रहे यह दरबार सांवरे,
तेरा किसने किया श्रृंगार सांवरे ॥
बागो से कलियाँ चुन चुन कर,
सुन्दर हार बनाया ।
रहे सलामत हाथ सदा वो,
जिसने तुझे सजाया ।
सजाता रहे वो हर बार सांवरे
तेरा किसने किया श्रृंगार सांवरे ॥
बोल सांवरे बोल तुम्हे मैं,
कौन सा भजन सुनाऊँ ।
ऐसा कोई राग बतादे,
तू नाचे मैं गाऊं ।
नचाता रहूँ मैं, हर बार सांवरे,
तेरा किसने किया श्रृंगार सांवरे ॥
तेरा किसने किया श्रृंगार सांवरे,
तू लगे दूल्हा सा दिलदार सांवरे ।
तेरा किसने किया श्रृंगार सांवरे,
तू लगे दूल्हा सा दिलदार सांवरे ।
ॐ सूर्याय नमः
ॐ ऐहि सूर्य सहस्त्रांशों तेजो राशे जगत्पते, अनुकंपयेमां भक्त्या, गृहाणार्घय दिवाकरः
प्रातः स्मरामि खलु तत्सवितुर्वरेण्यं रूपं हि मंडलमृचोऽथ तनुर्यजूंषि।
सामानि यस्य किरणाः प्रभवादिहेतुं ब्रह्माहरात्मकमलक्ष्यमचिन्त्यरूपम् ॥
षष्ठांशां प्रकृते: शुद्धां सुप्रतिष्ठाण्च सुव्रताम्।
सुपुत्रदां च शुभदां दयारूपां जगत्प्रसूम्।।
ॐ ह्रीं ह्रीं सूर्याय सहस्रकिरणराय मनोवांछित फलम् देहि देहि स्वाहा।।