चंद्र ग्रहण एक अद्भुत खगोलीय घटना है, जब पृथ्वी, सूर्य और चंद्रमा एक सीध में आते हैं और पृथ्वी की छाया चंद्रमा पर पड़ती है। यह न केवल वैज्ञानिक दृष्टिकोण से महत्वपूर्ण है, बल्कि ज्योतिषीय मान्यताओं के अनुसार भी इसका गहरा प्रभाव माना जाता है।
इस साल का पहला चंद्र ग्रहण 14 मार्च को पड़ेगा। इस चंद्र ग्रहण का विशेष महत्व है, क्योंकि यह होली पर पड़ रहा है। इससे विभिन्न राशियों पर सकारात्मक और नकारात्मक दोनों तरह के प्रभाव पड़ सकते हैं।
धार्मिक मान्यताओं में भी इस बारे में बताया गया है। चलिए इस लेख में हम इस चंद्र ग्रहण की तारीख, समय और पड़ने वाले प्रभावों के बारे में विस्तार से आपको बताते हैं।
साल 2025 का पहला चंद्र ग्रहण मार्च में ही लगेगा और खास बात यह है कि यह होली के दिन, फाल्गुन पूर्णिमा तिथि 14 मार्च को पड़ेगा। यह खंडग्रास चंद्र ग्रहण होगा, जिसमें चंद्रमा का केवल एक हिस्सा पृथ्वी की छाया से ढका रहेगा।
भारतीय समयानुसार, साल 2025 का पहला चंद्र ग्रहण 14 मार्च को दोपहर 2 बजकर 21 मिनट पर शुरू होगा और शाम 6 बजकर 14 मिनट पर समाप्त होगा। इस खंडग्रास चंद्र ग्रहण का मध्यकाल शाम 4 बजकर 17 मिनट पर पड़ेगा, जब चंद्रमा का अधिकतम हिस्सा पृथ्वी की छाया से ढका रहेगा। हालांकि, यह ग्रहण भारत में अदृश्य रहेगा, जिसके कारण इसका कोई धार्मिक प्रभाव नहीं माना जाएगा और सूतक काल भी लागू नहीं होगा।
आमतौर पर ग्रहण के समय पूजा-पाठ और भोजन से परहेज किया जाता है, लेकिन इस बार भारतीय श्रद्धालु बिना किसी बाधा के अपनी धार्मिक गतिविधियां कर सकेंगे। खासकर होली के दिन होने के कारण लोग बिना किसी चिंता के रंगों का त्योहार मना पाएंगे।
वैज्ञानिक दृष्टिकोण से चंद्र ग्रहण एक खगोलीय घटना है, लेकिन धार्मिक मान्यताओं के अनुसार इसका अदृश्य होना शुभ संकेत माना जाता है। इस कारण से ग्रहण भारतीयों के लिए किसी प्रकार की चिंता का कारण नहीं बनेगा।
चंद्र ग्रहण का प्रभाव वैज्ञानिक और ज्योतिषीय दोनों रूप से महत्वपूर्ण माना जाता है।
Disclaimer
इस लेख में दी गई जानकारी सामान्य मान्यताओं और ज्योतिषीय तथ्यों पर आधारित है। इसकी सटीकता या सत्यता की पुष्टि नहीं की गई है। पाठकों से आग्रह है कि वे किसी भी निष्कर्ष पर पहुंचने से पहले विशेषज्ञों की सलाह लें और अपनी धार्मिक मान्यताओं व परंपराओं का पालन करें।
समृद्धि, धन, नारी, पुत्र की प्राप्ति के लिए दस महाविद्याओं में मां कमला की साधना की जाती है।
नवरात्रि के अंतिम दिन पुण्य लाभ अर्जित करने हेतु कन्या पूजन का विशेष महत्व बताया गया है। नौ दिनों तक व्रत रखने वाले सभी भक्त कन्याओं को भोजन कराने के बाद ही अपना व्रत खोलते हैं।
नवरात्रि में मां दुर्गा की पूजा के साथ श्रीराम की पूजा व रामरक्षा का पाठ करना महत्वपूर्ण अनुष्ठान माना जाता है।
मैया की आराधना के पावन पर्व नवरात्रि में दुर्गा सप्तशती का पाठ करने का भी विशेष महत्व हैं।