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प्रदोष व्रत एक महत्वपूर्ण हिंदू व्रत है, जो भगवान शिव को समर्पित है। यह व्रत हर माह की त्रयोदशी तिथि को रखा जाता है। इस दिन भक्त भगवान शिव और माता पार्वती की पूजा करते हैं और उनके निमित्त प्रदोष व्रत रखते हैं। यह व्रत भगवान शिव की कृपा प्राप्त करने और जीवन में सुख, समृद्धि और अच्छे स्वास्थ्य की प्राप्ति के लिए रखा जाता है। साथ ही व्रत करने से विवाह में आ रही बाधा दूर होती है और जीवन में सकारात्मक परिवर्तन आते हैं।
मार्गशीर्ष महीने में प्रदोष व्रत का विशेष महत्व है जो 28 नवंबर 2024 को रखा जाएगा। यह प्रदोष व्रत गुरूवार के दिन पड़ रहा है इसलिए इसे गुरु प्रदोष व्रत कहा जाएगा। इस दिन कई अद्भुत संयोग बन रहे हैं जिनमें पूजा करना बेहद शुभ है।
भगवान शिव को समर्पित प्रदोष व्रत हर माह की त्रयोदशी तिथि को रखा जाता है। नवंबर के महीने में पंचांग के अनुसार मार्गशीर्ष माह का कृष्ण पक्ष चल रहा है। कृष्ण पक्ष की त्रयोदशी तिथि 28 नवंबर 2024 को सुबह 6 बजकर 24 मिनट से शुरू हो जाएगी और अगले दिन यानि 29 नवंबर को सुबह 8 बजकर 40 मिनट तक रहेगी। प्रदोष व्रत के दिन शाम के समय पूजा का बड़ा महत्व है। शाम के समय में त्रयोदशी तिथि 28 नवंबर को ही है साथ ही उदया तिथि भी 28 को ही है। इसलिए मार्गशीर्ष महीने का पहला प्रदोष व्रत 28 नवंबर को ही रखा जाएगा।
प्रदोष व्रत के दिन भगवान शिव की पूजा प्रदोष काल में की जाती है। 28 नवंबर के दिन पूजा का शुभ मुहूर्त प्रदोष काल में 5 बजकर 24 मिनट पर शुरू होगा और रात्रि 8 बजकर 6 मिनट तक रहेगा।
गुरू प्रदोष व्रत के दिन कई शुभ संयोग का भी निर्माण हो रहा है, इन शुभ संयोग में भगवान शिव और माता पार्वती की पूजा करना बेहद शुभ फलदायी होता है।
1. सौभाग्य योग
पंचांग के अनुसार मार्गशीर्ष माह के कृष्ण पक्ष की त्रयोदशी तिथि पर सौभाग्य योग बन रहा है। सौभाग्य योग का निर्माण 27 नवंबर दोपहर 3 बजकर 13 मिनट से हो रहा है जो 28 नवंबर को शाम 4 बजकर 2 मिनट तक रहेगा। इस योग में भगवान शिव संग मां पार्वती की पूजा करने से साधक की हर मनोकामना पूरी होगी। इसके साथ ही सुख और सौभाग्य में भी वृद्धि होगी।
2. शोभन योग
मार्गशीर्ष माह के पहले प्रदोष व्रत पर शोभन योग का भी संयोग बन रहा है। शोभन योग का निर्माण 28 नवंबर को संध्याकाल 04 बजकर 03 मिनट से हो रहा है जो 29 नवंबर को शाम 4:34 मिनट तक रहेगा। ज्योतिष शोभन योग को बेहद शुभ मानते हैं। इस योग में भगवान शिव संग मां पार्वती की पूजा करने से साधक को सभी प्रकार के सुखों की प्राप्ति होगी।
3. चित्रा और स्वाती नक्षत्र का भी संयोग
गुरु प्रदोष व्रत पर चित्रा और स्वाति नक्षत्र का संयोग बन रहा है। इसके साथ ही गर और वणिज करण का निर्माण हो रहा है। ज्योतिष गर और वणिज को बेहद शुभ मानते हैं। इन योग में भगवान शिव का अभिषेक करने से साधक की हर मनोकामना पूरी होगी। साथ ही सुखों में वृद्धि होगी।
मन्दाकिन्यास्तु यद्वारि सर्वपापहरं शुभम् ।तदिदं कल्पितं देव स्नानार्थं प्रतिगृह्यताम् ॥श्रीभगवते साम्बशिवाय नमः । स्नानीयं जलं समर्पयामि।
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