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पितृपक्ष 2025 षष्ठी श्राद्ध मुहूर्त

पितृपक्ष 2025 षष्ठी श्राद्ध मुहूर्त

Pitru Paksha 2025: पितृपक्ष का षष्ठी श्राद्ध, इस मुहूर्त में करें तर्पण और श्राद्ध कर्म की विधि

हिन्दू धर्म में पितृपक्ष का हर दिन विशिष्ट महत्व रखता है। यह पखवाड़ा पूर्वजों की आत्मा की शांति और तृप्ति के लिए समर्पित होता है। इसी क्रम में वर्ष 2025 में पितृपक्ष का छठा श्राद्ध 12 सितम्बर, शुक्रवार को मनाया जाएगा, जिसे षष्ठी श्राद्ध या छठ श्राद्ध कहा जाता है।

षष्ठी श्राद्ध का महत्व

षष्ठी श्राद्ध उन मृतक परिजनों के लिए किया जाता है जिनकी मृत्यु षष्ठी तिथि को हुई हो। चाहे वह शुक्ल पक्ष की षष्ठी हो या कृष्ण पक्ष की, इस दिन उनका श्राद्ध करने का विधान है। इस तिथि पर विधिपूर्वक किए गए तर्पण और पिंडदान से पितरों की आत्मा को शांति मिलती है और परिवार पर उनका आशीर्वाद बना रहता है।

धर्मशास्त्रों में कहा गया है कि पितरों के आशीर्वाद से संतान को उन्नति, परिवार को सुख-समृद्धि और जीवन में स्थिरता प्राप्त होती है।

षष्ठी श्राद्ध का मुहूर्त

इस वर्ष षष्ठी श्राद्ध के शुभ समय इस प्रकार हैं—

  • कुतुप मुहूर्त: 11:52 एएम से 12:42 पीएम (50 मिनट)
  • रौहिण मुहूर्त: 12:42 पीएम से 1:32 पीएम (50 मिनट)
  • अपराह्न काल: 1:32 पीएम से 4:01 पीएम (2 घंटे 29 मिनट)
  • षष्ठी तिथि प्रारंभ: 12 सितम्बर, सुबह 9:58 बजे
  • षष्ठी तिथि समाप्त: 13 सितम्बर, सुबह 7:23 बजे

श्राद्ध से जुड़े सभी अनुष्ठान इन शुभ समयावधियों में करना सबसे फलदायी माना गया है।

श्राद्ध और तर्पण की विधि

  • प्रातः स्नान करके स्वच्छ वस्त्र पहनें और शुद्ध आसन पर बैठें।
  • दक्षिण दिशा की ओर मुख करके पितरों का स्मरण करें।
  • तर्पण के लिए जल, तिल और कुश का उपयोग करें और मंत्रों का उच्चारण करते हुए अर्पित करें।
  • इसके बाद चावल, जौ और तिल से बने पिंड अर्पित करें।
  • ब्राह्मण भोजन और दक्षिणा देना श्राद्ध का अनिवार्य अंग है।
  • अंत में गाय, कौवा, कुत्ते और चींटियों को अन्न देना चाहिए, क्योंकि इन्हें पितरों का प्रतीक माना जाता है।

पौराणिक मान्यता

गरुड़ पुराण और धर्मसिन्धु जैसे ग्रंथों में श्राद्ध की महिमा का विस्तार से वर्णन किया गया है। इनके अनुसार, पितरों को अर्पित किया गया तर्पण और पिंडदान सीधे उन्हें प्राप्त होता है और वे प्रसन्न होकर अपने वंशजों को आशीर्वाद देते हैं। इससे परिवार में आने वाली बाधाएं दूर होती हैं और सुख-शांति का वास होता है।

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