हिंदू धर्म में प्रदोष व्रत का विशेष महत्व है, जो भगवान शिव को समर्पित होता है। यह व्रत प्रत्येक माह की त्रयोदशी तिथि को मनाया जाता है और इसका पालन करने से व्यक्ति को मानसिक तथा सांसारिक लाभ प्राप्त होते हैं। इस वर्ष शुक्रवार 9 मई को भी यह व्रत श्रद्धालुओं के लिए अत्यंत पुण्यदायक रहेगा। विशेष रूप से स्त्रियों के लिए यह व्रत योग्य वर की प्राप्ति के लिए अत्यंत फलदायी माना गया है।
प्रदोष व्रत के दिन श्री शिव रुद्राष्टकम का पाठ करने की परंपरा बहुत समय से चली आ रही है। यह स्तोत्र गोस्वामी तुलसीदास द्वारा रचित है, जिसमें भगवान शिव की महिमा का अत्यंत सुंदर वर्णन किया गया है। रुद्राष्टकम का पाठ करने से भगवान शिव शीघ्र प्रसन्न होते हैं और अपने भक्तों को आशीर्वाद प्रदान करते हैं। धार्मिक मान्यताओं के अनुसार, प्रदोष व्रत में रुद्राष्टकम का पाठ करने से न केवल मानसिक शांति प्राप्त होती है, बल्कि यह योग्य वर की प्राप्ति के लिए भी अत्यंत शुभ माना जाता है।
कई धार्मिक ग्रंथों और पुराणों में यह उल्लेख किया गया है कि प्रदोष व्रत में रुद्राष्टकम का श्रद्धापूर्वक पाठ करने से कुमारी कन्याओं को योग्य वर की प्राप्ति होती है। शिव-पार्वती विवाह की कथा इस बात को और सुदृढ़ करती है, जहां भगवान शिव ने माता पार्वती के कठोर तप और श्रद्धा से प्रसन्न होकर उन्हें अपनी पत्नी रूप में स्वीकार किया था।