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कुंभ नगरी में स्नान के लाभ

कुंभ नगरी में स्नान के लाभ

आखिर क्यों कुंभ नगरी में मौनी अमावस्या पर करना चाहिए संगम में स्नान, लाभ जानकर चौंक जाएंगे आप 


अमावस्या एक ऐसा दिन होता है जब ना तो चंद्रमा क्षय होता है ना ही उदित। दरअसल, अमावस्या सूर्य और चंद्र के मिलन का समय होता है। चंद्रमा हमारे मन मस्तिष्क पर सबसे अधिक प्रभाव डालता है। जन्म के समय चंद्रमा की स्थिति के आधार पर ही मनुष्य की भावनाएं और मन का विकास होता है। वहीं, मौनी अमावस्या के दिन स्नान करने से विभिन्न प्रकार के लाभ साधक को प्राप्त होते हैं। तो आइए, इस आर्टिकल में विस्तार से जानते हैं कि अमावस्या के दिन संगम में स्नान करना साधक को कैसे लाभान्वित करता है।  

क्यों खास होता है मौनी अमावस्या का स्नान 


हमारा जीवन भी ग्रहों की किरणों के प्रभाव से ही चलता है। अमावस्या के दिन चंद्र के प्रभाव में न्यूनता के कारण बहते हुए जल में सबसे ज़्यादा ऊर्जा होती है। वहीं, संगम का अर्थ होता है मिलन और संगम ऐसी जगह को कहा जाता है जहां पर जल की दो या दो से अधिक धाराएं मिल रही होती हैं। इसलिए, यहां स्नान मात्र से मस्तिष्क संतुलित हो जाता है। 

मौनी अमावस्या का महत्व


मौनी अमावस्या को माघी या माघ अमावस्या भी कहते हैं। इस दिन का खास महत्व होता है। क्योंकि, इस दिन लोग मौन व्रत रखते हैं और पितरों का तर्पण करते हैं। धार्मिक मान्यता के अनुसार, इस दिन पितरों का तर्पण करने से उनकी आत्मा को शांति मिलती है और उनका आशीर्वाद प्राप्त होता है। इसके अलावा यह भी मान्यता है कि इस दिन मौन व्रत रखने से कार्यों में सफलता मिलती है और जीवन में खुशहाली आती है। इतना ही नहीं, इस दिन पितृ को तर्पण और दान करने से ग्रह दोषों से भी मुक्ति मिल जाती है।

मौनी अमावस्या का समय 


हिंदू पंचांग के अनुसार, माघ माह की अमावस्या तिथि 28 जनवरी की शाम 7.35 बजे शुरू होगी और 29 जनवरी की शाम 6.05 बजे खत्म होगी।

जानिए अमृत स्नान का शुभ मुहूर्त


हिंदू पंचांग के अनुसार, 29 जनवरी 2025 को अमृत स्नान का शुभ मुहूर्त सुबह 5.25 बजे से 6.18 बजे तक रहेगा। इसके बाद प्रातः संध्या मुहूर्त 5.51 बजे से 7.11 बजे तक रहेगा। इस मुहूर्त में श्रद्धालु गंगा में स्नान कर पुण्य प्राप्त कर सकते हैं।

क्यों खास होती है यह अमावस्या?


महाकुंभ का दूसरा अमृत स्नान 29 जनवरी को मौनी अमावस्या के दिन होगा। मौनी अमावस्या और दूसरा अमृत स्नान महाकुंभ के सबसे खास और महत्वपूर्ण दिन हैं। इस दिन पितृ तर्पण और दान का महत्व बहुत बढ़ जाता है। क्योंकि इस दिन के दौरान बनने वाले ज्योतिषीय संयोग इसे और भी खास बनाते हैं। ज्योतिष के अनुसार, इस बार मौनी अमावस्या पर चंद्रमा, बुध और सूर्य मकर राशि में त्रिवेणी योग बना रहे हैं। यह एक दुर्लभ संयोग है, जो इस दिन के महत्व को और बढ़ा देता है।

मौनी अमावस्या के दिन करें यह विशेष उपाय


मौनी अमावस्या के दिन चित को शांत रखने और कम बोलने का प्रयास करें साथ ही अपशब्द बोलने से भी बचें।
वहीं, जिनकी कुंडली में ग्रहण का कोई दोष है या जिनका भी जन्म अमावस्या के दिन हुआ है। या फिर जिनकी कुंडली में ग्रह युति से पितृदोष लग रहा है वह स्नान के उपरांत खीर बनाकर पीपल वृक्ष के नीचे पीपल के पत्तों पर खीर रखकर पितरों को नैवेद्य अर्पित करें। इसके बाद बाकी बचे खीर को गरीब लोगों में बांट दें। 

चंद्रमा के प्रभाव से दूर होगा डिप्रेशन


जो लोग मानसिक रूप से कमजोर है या किसी तरह के डिप्रेशन के शिकार हैं उन्हें इस दिन शाम के समय गंगा स्नान करना चाहिए। इसके बाद ललाट पर चंद्रमा की आकृति के समान चंदन लगाना चाहिए। धार्मिक मान्यता है कि इससे मानसिक परेशानी में कमी आती है और मनोबल भी बढ़ता है। 

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राजा बलि (Raja Bali)

राजा बली को महाबलि, इंद्रसेन या मावेली के नाम से भी जाना जाता है, बली एक दैत्य राजा थे लेकिन दैत्यों से जुड़े होने के बाद भी उनका वर्णन एक दयालु और उदार राजा के रूप में किया जाता है जो एक बहुत बड़े दानी होने के साथ भगवान विष्णु के परम भक्त भी रहे।

वेद व्यास (Veda Vyas)

महर्षि वेदव्यास, महर्षि पराशर और धीवर कन्या सत्यवती के पुत्र थे। रंग काला होने की वजह से महर्षि वेदव्यास को कृष्ण तो वहीं यमुना नदी के बीच द्वीप पर जन्म होने की वजह से उनको द्वैपायन नाम से भी जाना जाता है।

हनुमान (Hanuman)

रुद्र के ग्यारहवें अवतार और वानर राज केसरी तथा अंजनी के पुत्र हनुमान का जन्म भगवान श्री राम की सेवा के लिए हुआ था।

विभीषण (Vibhishan)

विभीषण ऋषि विश्रवा और राक्षसी कैकसी के पुत्र थे। वे एक धर्मपरायण व्यक्ति थे जो हमेशा सत्य के मार्ग पर चलते थे।

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