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इस धारा का जल हनुमानजी को स्पर्श करता हुआ बहता है। इसीलिए इसे हनुमान धारा कहते हैं। इस के दर्शन से हर एक व्यक्ति का तनाव से मुक्त हो जाता है तथा मनोकामना भी पूर्ण हो जाती है।
उत्तर प्रदेश के सीतापुर नामक स्थान के समीप यह हनुमान मंदिर स्थापित है। कहा जाता है की जब हनुमानजी ने लंका में अपनी पूँछ से आग लगाई थी तब उनकी पूँछ पर भी बहूत जलन हो रही थी | रामराज्य में भगवन श्री राम से हनुमानजी विनती की जिससे अपनी जली हुई पूँछ का इलाज हो सके | तब श्री राम ने अपने बाण के प्रहार से इसी जगह पर एक पवित्र धारा बनाई जो हनुमान जी की पूँछ पर लगातार गिरकर पूँछ के दर्द को कम करती रही |
यदि किसी व्यक्ति को दमा की बिमारी है तो यह जल पीने से काफी लोगों को लाभ मिला है।
सीतापुर से हनुमान धारा की दूरी तीन मील है। यह स्थान पर्वतमाला के मध्यभाग में स्थित है। पहाड़ के सहारे हनुमानजी की एक विशाल मूर्ति के ठीक सिर पर दो जल के कुंड हैं, जो हमेशा जल से भरे रहते हैं और उनमें से निरंतर पानी बहता रहता है। पहाड़ी के शिखर पर स्थित हनुमान धारा में हनुमान की एक विशाल मूर्ति है। मूर्ति के सामने तालाब में झरने से पानी गिरता है।
कथा है श्रीराम के अयोध्या में राज्याभिषेक होने के बाद एक दिन हनुमानजी ने भगवान श्रीरामचंद्र से कहा ‘हे प्रभु, लंका को जलाने के बाद तीव्र अग्नि से उत्पन्न गरमी मुझे बहुत कष्ट दे रही है। मुझे कोई ऐसा उपाय बताएं, जिससे मैं इससे मुक्ति पा सकूं। इस कारण मैं कोई अन्य कार्य करने में बाधा महसूस कर रहा हूं। कृपया मेरा संकट दूर करें।’ तब प्रभु श्रीराम ने मुस्कराते हुए कहा, ‘चिंता मत करो। भगवान श्रीराम ने हनुमानजी को यह स्थान बताया। आप चित्रकूट पर्वत पर जाइये। वहां आपके शरीर पर अमृत तुल्य शीतल जलधारा के लगातार गिरने से आपको इस कष्ट से मुक्ति मिल जाएगी।’
हनुमान जी ने चित्रकूट आकर विंध्य पर्वत श्रंखला की एक पहाड़ी में श्री राम रक्षा स्त्रोत का पाठ 1008 बार किया। जैसे ही उनका अनुष्ठान पूरा हुआ ऊपर से एक जल की धारा प्रकट हो गयी। जलधारा शरीर में पड़ते ही हनुमान जी के शरीर को शीतलता प्राप्त हुई।
आज भी यहां वह जल धारा के निरंतर गिरती है। जिस कारण इस स्थान को हनुमान धारा के रूप में जाना जाता है। धारा का जल पहाड़ में ही विलीन हो जाता है। उसे लोग प्रभाती नदी या पातालगंगा कहते हैं।
हनुमानधारा मंदिर में पूजा का तरीका बहुत सरल है। आपको निम्नलिखित काम करने होंगे:
मूर्ति की पूजा: मंदिर में हनुमान जी की मूर्ति के सामने जाकर फूल, फल, धूप, और दीपक चढ़ाना।
अभिषेक: हनुमान जी की मूर्ति पर पानी, दूध, और गंगाजल का अभिषेक करना।
आरती: हनुमान जी की आरती गाना और उनके सामने धूप के दीपक जलाना।
मंत्र जाप: हनुमान चालीसा या कोई अन्य हनुमान स्तोत्र का जाप करना।
ध्यान: हनुमान जी की मूर्ति को ध्यान में लेना और उनके गुणों को याद करना।
यह सभी क्रियाएँ आपको हनुमानधारा मंदिर में पूजा प्रारंभ करने के लिए मदद करेंगी। और अगर आपको और अधिक जानकारी चाहिए तो स्थानीय पुजारी से पूछ सकते हैं।
हनुमानधारा, चित्रकूट, उत्तर प्रदेश को पहुंचने के लिए कई परिवहन सुविधाएँ हैं। यहां कुछ मुख्य विकल्प हैं:
रेलवे: हनुमानधारा तथा चित्रकूट दोनों ही रेलमार्ग के आसपास स्थित हैं। आप भारतीय रेलवे की सुविधाओं का इस्तेमाल कर सकते हैं।
बस: उत्तर प्रदेश के बस सेवाओं का इस्तेमाल करके भी आप हनुमानधारा और चित्रकूट पहुंच सकते हैं। यहां स्थानीय और राष्ट्रीय स्तर की बस सेवाएँ उपलब्ध हैं।
व्यक्तिगत वाहन: आप अपने व्यक्तिगत वाहन का उपयोग करके भी इन स्थानों तक पहुंच सकते हैं। यह आपको आसानी से अपने यात्रा का समय निर्धारित करने की सुविधा प्रदान करता है।
इन सभी सुविधाओं के साथ-साथ, यह सुनिश्चित करें कि आप अपनी यात्रा की पूर्व-प्लानिंग करें और आवश्यकतानुसार सहायता लें। इसके अलावा, स्थानीय परिवहन नियमों का भी पालन करें।
हनुमानधारा और चित्रकूट क्षेत्र में मंदिर के आसपास कुछ अच्छे होटल और गेस्ट हाउस हैं। यहां कुछ उनमें से हैं:
हनुमानधारा मंदिर के पास:
हनुमानधारा रेसिडेंसी: यहां आरामदायक कमरे और सुविधाएँ उपलब्ध हैं।
हनुमानधारा गेस्ट हाउस: साफ-सुथरे कमरे और आवश्यक सुविधाएँ प्रदान की जाती हैं।
हनुमानधारा धर्मशाला: यहां साफ-सुथरे कमरे और मंदिर के निकटतम होने के कारण आदर्श स्थान है।
चित्रकूट इन: यहां आरामदायक रुम और विशेष सुविधाएँ उपलब्ध हैं।
चित्रकूट गेस्ट हाउस: यहां आपको शांतिपूर्ण माहौल और अच्छी सुविधाएँ मिलेंगी।
चित्रकूट इंडियन होमस्टे: यहाँ पर्यटकों के लिए साफ-सुथरे कमरे और विशेष सुविधाएँ हैं।
यदि आप अन्य होटल या गेस्ट हाउस की तलाश में हैं, तो स्थानीय पर्यटन ब्यूरो से संपर्क करके अधिक विकल्पों की जानकारी प्राप्त कर सकते हैं। ध्यान दें कि आप अपनी यात्रा की पूर्व-प्लानिंग करें और होटल या गेस्ट हाउस की आरक्षण सुनिश्चित करें।
'इस लेख में दी गई जानकारी/सामग्री/गणना की प्रामाणिकता या विश्वसनीयता की गारंटी नहीं है। सूचना के विभिन्न माध्यमों/ज्योतिषियों/पंचांग/प्रवचनों/धार्मिक मान्यताओं/धर्मग्रंथों से संकलित करके यह सूचना आप तक प्रेषित की गई हैं। हमारा उद्देश्य सिर्फ सूचना पहुंचाना है, पाठक या उपयोगकर्ता इसे सिर्फ सूचना समझकर ही लें। इसके अतिरिक्त इसके किसी भी तरह से उपयोग की जिम्मेदारी स्वयं उपयोगकर्ता या पाठक की ही होगी।
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