उत्तर प्रदेश की धार्मिक नगरी प्रयागराज में एक अनोखा और रहस्यमयी मंदिर स्थित है। इस मंदिर में हनुमान जी की विशाल लेटी हुई प्रतिमा की पूजा होती है, जो दुनिया में कहीं और नहीं देखी जाती। मान्यता है कि संगम स्नान का असली फल तभी मिलता है, जब भक्त इस मंदिर में हनुमान जी के दर्शन करते हैं। इस मंदिर से जुड़ी कहानी एक चमत्कारी पुनर्जन्म की है, जिसमें माता सीता ने हनुमान जी को नया जीवन देकर उन्हें चिरंजीवी होने का आशीर्वाद दिया था। आइए, जानें इस अद्भुत मंदिर के रहस्य और इसके महत्व के बारे में, जो आज भी भक्तों को अपनी ओर खींचता है।
प्रयागराज स्थित हनुमान जी के इस अद्भुत मंदिर का इतिहास बहुत ही रोचक है, जो इसे और भी रहस्यमय बनाता है। कहा जाता है कि मुगल सम्राट औरंगजेब के शासनकाल में, 1400 ईसवी के आस-पास, इस मंदिर की प्रतिमा को हटाने का प्रयास किया गया था। इसके लिए 100 सैनिकों को तैनात किया गया, लेकिन कई दिनों की कोशिशों के बावजूद वे हनुमान जी की प्रतिमा को हिला तक नहीं पाए। यह घटना हनुमान जी की महिमा और शक्ति का प्रतीक मानी जाती है।
इस अद्भुत घटना के बाद, हनुमान जी को "प्रयाग के कोतवाल" का दर्जा मिला और उनके प्रति श्रद्धा और विश्वास और भी बढ़ गया। आज भी, श्रद्धालु हनुमान जी से सच्चे मन से मन्नतें मांगते हैं, और उनकी मनोकामनाएं पूरी होने पर वे हर मंगलवार और शनिवार को ध्वज चढ़ाने के लिए इस मंदिर में गाजे-बाजे के साथ पहुंचते हैं। इस मंदिर में अर्पित किया गया सिन्दूर अत्यंत शुभ माना जाता है, जो भक्तों के विश्वास और आस्था का प्रतीक बन चुका है।
तेरे चरणों में सर को,
झुकाता रहूं,
तन तम्बूरा, तार मन,
अद्भुत है ये साज ।
सूरज की किरण छूने को चरण,
आती है गगन से रोज़ाना,
सूरत बड़ी है प्यारी माँ की,
मूरत की क्या बात है,