हर इक डगर पे हरपल,
जो मेरे साथ हैं,
भोलेनाथ है वो मेरे,
भोलेनाथ हैं,
देवों के देव हैं वो,
नाथों के नाथ हैं,
भोलेनाथ हैं वो मेरे,
भोलेनाथ हैं ॥
नीलकंठ महादेव विष को पिये हैं,
असुरों देवों को वर एक सा दिए हैं,
फर्क न किये,
हर कष्ट हर लिए,
जिनके आगे प्राणी सब,
जोड़े हाथ है,
भोलेनाथ हैं वो मेरे,
भोलेनाथ हैं ॥
हाथ में त्रिशूल है बाघम्बर कमर में,
दूजे हाथ डमरू है बाजे नाद स्वर में,
नन्दी पे सवार,
हैं भोले त्रिपुरार,
जटा में हैं गंगा और,
चन्द्र माथ है,
भोलेनाथ हैं वो मेरे,
भोलेनाथ हैं ॥
जल जो चढ़ाए उसे यम से उबारे,
बेल के चढाने से भरते भंडारे,
दूध अक्षत के संग,
धतूरा और भँग,
वैभव सुख धन की करते,
बरसात हैं,
भोलेनाथ हैं वो मेरे,
भोलेनाथ हैं ॥
हर इक डगर पे हरपल,
जो मेरे साथ हैं,
भोलेनाथ है वो मेरे,
भोलेनाथ हैं,
देवों के देव हैं वो,
नाथों के नाथ हैं,
भोलेनाथ हैं वो मेरे,
भोलेनाथ हैं ॥
भगवान श्री राम ने रावण का वध करने से पहले देवी के सभी नौ रूपों की पूरी विधि-विधान के साथ नौ दिनों तक पूजा की। मां के आशीर्वाद से दसवें दिन दशानन रावण का वध किया था। यही नौ दिन नवरात्रि के थे और दसवें दिन विजयादशमी।
काशी में मां दुर्गा के इस मंदिर में स्थित है रक्त से बना कुंड, पुजारी के दर्शन के बाद ही पूरी होती है पूजा
लखनऊ की चंद्रिका देवी से लेकर मिर्जापुर की बड़ी काली तक, ये हैं उत्तर प्रदेश के देवी मंदिर, नवरात्रि में जरूर करें दर्शन
बीच जंगल में बसा है मां भवानी का दिव्य सिंहासिनी दरबार, भक्त रहषु की पुकार पर आईं थीं माता