हर इक डगर पे हरपल,
जो मेरे साथ हैं,
भोलेनाथ है वो मेरे,
भोलेनाथ हैं,
देवों के देव हैं वो,
नाथों के नाथ हैं,
भोलेनाथ हैं वो मेरे,
भोलेनाथ हैं ॥
नीलकंठ महादेव विष को पिये हैं,
असुरों देवों को वर एक सा दिए हैं,
फर्क न किये,
हर कष्ट हर लिए,
जिनके आगे प्राणी सब,
जोड़े हाथ है,
भोलेनाथ हैं वो मेरे,
भोलेनाथ हैं ॥
हाथ में त्रिशूल है बाघम्बर कमर में,
दूजे हाथ डमरू है बाजे नाद स्वर में,
नन्दी पे सवार,
हैं भोले त्रिपुरार,
जटा में हैं गंगा और,
चन्द्र माथ है,
भोलेनाथ हैं वो मेरे,
भोलेनाथ हैं ॥
जल जो चढ़ाए उसे यम से उबारे,
बेल के चढाने से भरते भंडारे,
दूध अक्षत के संग,
धतूरा और भँग,
वैभव सुख धन की करते,
बरसात हैं,
भोलेनाथ हैं वो मेरे,
भोलेनाथ हैं ॥
हर इक डगर पे हरपल,
जो मेरे साथ हैं,
भोलेनाथ है वो मेरे,
भोलेनाथ हैं,
देवों के देव हैं वो,
नाथों के नाथ हैं,
भोलेनाथ हैं वो मेरे,
भोलेनाथ हैं ॥
पितृपक्ष की शुरूआत होते ही हम अपने पूर्वजों का श्राद्ध, तर्पण आदि करने के लिए पवित्र नदियों के तट की तलाश में लग जाते हैं, जहां इस दौरान बहुत भीड़ देखने को मिलती है। सभी लोग अपने पूर्वजों की आत्मा की शांति के लिए पवित्र घाटों पर जाकर तर्पण करते हैं।
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