गोविन्द जय-जय, गोपाल जय-जय ।
राधा-रमण हरि, गोविन्द जय-जय ॥ १ ॥
॥ गोविन्द जय-जय... ॥
ब्रह्माकी जय-जय, विष्णूकी जय-जय ।
उमा- पति शिव शंकरकी जय-जय ॥ २ ॥
॥ गोविन्द जय-जय... ॥
राधाकी जय-जय, रुक्मिणिकी जय-जय ।
मोर-मुकुट वंशीवारेकी जय-जय ॥ ३ ॥
॥ गोविन्द जय-जय... ॥
गंगाकी जय-जय, यमुनाकी जय-जय ।
सरस्वती, तिरवेणीकी जय-जय ॥ ४ ॥
॥ गोविन्द जय-जय... ॥
रामकी जय-जय श्यामकी जय-जय ।
दशरथ-कुँवर चारों भैयों की जय-जय ॥ ५ ॥
॥ गोविन्द जय-जय... ॥
कृष्णाकी जय-जय, लक्ष्मीकी जय-जय ।
कृष्ण-बलदेव दोनों भइयोंकी जय-जय ॥ ६ ॥
गोविन्द जय-जय, गोपाल जय-जय ।
राधा-रमण हरि, गोविन्द जय-जय ॥
26 फरवरी को महाशिवरात्रि के दिन महाकुंभ स्नान के लिए करोड़ों श्रद्धालुओं की भीड़ उमड़ने की संभावना है। यह दिन महाकुंभ का अंतिम स्नान और महाशिवरात्रि का पावन पर्व भी है, जिससे आस्था का यह संगम और भी महत्वपूर्ण माना जा रहा है।
प्रयागराज में महाकुंभ मेले का समापन 26 फरवरी को महाशिवरात्रि के दिन होगा और इसी दिन महाकुंभ का अंतिम स्नान भी किया जाएगा। इस बार महाशिवरात्रि पर कुछ विशेष संयोग बन रहे हैं।
महाकुंभ 2025 का समापन 26 फरवरी, महाशिवरात्रि के दिन होगा, इस दिन भारी संख्या में श्रद्धालु संगम में डुबकी लगाएंगे। 26 फरवरी, महाशिवरात्रि के दिन, संगम पर होने वाले अंतिम शाही स्नान के साथ ही इस आयोजन का समापन हो जाएगा।
महाकुंभ के सफल आयोजन के बाद अब सभी अखाड़े और साधु- संन्यासी इस समय काशी में हैं। बाबा विश्वानाथ की पूजा-आराधना के बिना महाकुंभ का शाही स्नान शैव संप्रदाय के नागा साधुओं के लिए अधूरा माना जाता है।