हमें गुरुदेव तेरा सहारा न मिलता ।
ये जीवन हमारा दुबारा न खिलता ॥
साँसों की सरगम मध्यम हुई थी ।
जीने की आशा भी धूमिल हुई थी ।
तेरे नाम का जो सहारा न मिलता ।
ये जीवन हमारा दुबारा न खिलता ॥
रिश्तों की चौखट पे ठोकर है खाई ।
अपने परायों की समझ भी न आई ।
सच्चा जो तेरा रिश्ता न मिलता ।
ये जीवन हमारा दुबारा न खिलता ॥
किस्मत की मौजों ने कश्ती डुबोयी ।
जब सब लुटा तो तेरी याद आई ।
अगर मेरी किश्ती को सहारा न मिलता ।
ये जीवन हमारा दुबारा न खिलता ॥
चन्दन चौक पुरावा,
मंगल कलश सजावा,
चंदन है इस देश की माटी,
तपोभूमि हर ग्राम है ।
चन्द्रघंटा माँ से अर्जी मेरी,
मैं दास बनूँ तेरा,
सिमर सिमर नाम जीवा
तन मन होए निहाला,