हमें गुरुदेव तेरा सहारा न मिलता ।
ये जीवन हमारा दुबारा न खिलता ॥
साँसों की सरगम मध्यम हुई थी ।
जीने की आशा भी धूमिल हुई थी ।
तेरे नाम का जो सहारा न मिलता ।
ये जीवन हमारा दुबारा न खिलता ॥
रिश्तों की चौखट पे ठोकर है खाई ।
अपने परायों की समझ भी न आई ।
सच्चा जो तेरा रिश्ता न मिलता ।
ये जीवन हमारा दुबारा न खिलता ॥
किस्मत की मौजों ने कश्ती डुबोयी ।
जब सब लुटा तो तेरी याद आई ।
अगर मेरी किश्ती को सहारा न मिलता ।
ये जीवन हमारा दुबारा न खिलता ॥
जय जय जय प्रभु रामदे, नमो नमो हरबार।
लाज रखो तुम नन्द की, हरो पाप का भार।
जैसे अटल हिमालय और जैसे अडिग सुमेर ।
ऐसे ही स्वर्ग द्वार पै, अविचल खड़े कुबेर ॥
हीं श्रीं, क्लीं, मेधा, प्रभा, जीवन ज्योति प्रचण्ड ।
शांति, क्रांति, जागृति, प्रगति, रचना शक्ति अखण्ड ॥
अतीत प्राचीन काल की बात है। एक बार पाण्डु पुत्र अर्जुन तब करने के लिए नीलगिरि पर्वत पर चले गए थे।