जबसे बरसाने में आई,
मैं बड़ी मस्ती में हूँ,
मैं बड़ी मस्ती में श्यामा,
मैं बड़ी मस्ती में श्यामा,
मैं बड़ी मस्ती में प्यारे,
मैं बड़ी मस्ती में प्यारे,
जब से तुम संग लौ लगाई,
मैं बड़ी मस्ती में हूँ॥
छा गई आँखों में दिल में,
बस तेरी दीवानगी, ॥छा गई आँखों...
तू ही तू बस दे दिखाई,
मैं बड़ी मस्ती में हूँ, ॥तू ही तू ...
मैं बड़ी मस्ती में श्यामा,
जब से तुम संग लो लगाई,
मैं बड़ी मस्ती में हूँ॥
॥ जबसे बरसाने में आई...॥
ना तमन्ना दौलतों की,
शोहरतों की लाड़ली, ॥ना तमन्ना...
नाम की करके कमाई,
मैं बड़ी मस्ती में हूँ, ॥नाम की...
मैं बड़ी मस्ती में श्यामा,
जब से तुम संग लो लगाई,
मैं बड़ी मस्ती में हूँ॥
॥ जबसे बरसाने में आई...॥
बांकी चितवन सांवरी,
मन मोहनी सूरत तेरी, ॥बांकी चितवन...
जबसे है दिल में समाई,
मैं बड़ी मस्ती में हूँ, ॥जबसे है...
मैं बड़ी मस्ती में श्यामा,
जब से तुम संग लो लगाई,
मैं बड़ी मस्ती में हूँ॥
॥ जबसे बरसाने में आई...॥
जबसे बरसाने में आई,
मैं बड़ी मस्ती में हूँ,
मैं बड़ी मस्ती में श्यामा,
मैं बड़ी मस्ती में श्यामा,
मैं बड़ी मस्ती में प्यारे,
मैं बड़ी मस्ती में प्यारे,
जब से तुम संग लौ लगाई,
मैं बड़ी मस्ती में हूँ॥
सनातन धर्म में रंगों को हमेशा से पवित्र माना गया है। रंगोली, न सिर्फ हमारे घरों को सजाती है बल्कि वैज्ञानिक रूप से भी हमारे मन को शांत और खुशहाल बनाती है।
सनातन धर्म में सभी देवी-देवताओं की पूजा में विशेष रूप से धूपबत्ती जलाने की परंपरा है। बिना धूपबत्ति के पूजा-पाठ अधूरी मानी जाती है। ऐसा कहा जाता है कि धूपबत्ती जलाने से घर में सकारात्कता का संचार होता है और व्यक्ति के जीवन में भी शुभता आती है।
मंदिर में प्रवेश के मुख्य नियमों में से एक है, प्रवेश से पहले पैरों को धोना। माना जाता है कि चाहे हम तन और मन से कितने ही शुद्ध क्यों न हों, मंदिर में प्रवेश से पूर्व हाथों के साथ-साथ पैरों को धोना अत्यंत आवश्यक होता है।
हिंदू धर्म में पूजा-अर्चना करने के दौरान देवी-देवताओं को भोग लगाने का विशेष महत्व है। बिना भगवान को भोग लगाए पूजा अधूरी मानी जाती है।