डम ढोल नगाड़ा बाजे,
झन झन झनकारा बाजे,
डम डम डम डमरु बाजे,
महाकाल की बारात में,
महाकाल की बारात मे ॥
दूल्हा बने भोले भंडारी,
तन पर भस्म रमाके,
भूत प्रेत नंदी गण नाचे,
बज रहे ढोल ढमाके,
मस्तक पर चंदा साजे,
नंदी पर आप विराजे,
डम डम डम डमरु बाजे,
महाकाल की बारात मे ॥
भांग धतुरा पिये हलाहल,
दूल्हा बड़ा निराला,
माँ पार्वती के दिल को भाया,
ये कैसा दिलवाला,
जिसके गले में नाग विराजे,
मृगशाला तन पर साजे,
डम डम डम डमरु बाजे,
महाकाल की बारात मे ॥
उजले होकर सज गए भोले,
मोहक रुप बनाए,
ब्रम्हा जी मृदंग बजाते,
विष्णु मंगल गाए,
श्रृंगी भृंगी भी नाचे,
देव और दानव भी नाचे,
‘गौरव तिलक’ भी नाचे,
महाकाल की बारात में,
डम डम डम डमरु बाजे,
महाकाल की बारात मे ॥
डम ढोल नगाड़ा बाजे,
झन झन झनकारा बाजे,
डम डम डम डमरु बाजे,
महाकाल की बारात में ॥
अनंत चतुर्दशी के दिन भगवान विष्णु की पूजा का विधान है। इस दिन लोग व्रत रखते हैं, पूजा-पाठ करते हैं और भगवान विष्णु को भोग लगाते हैं।
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17 सितंबर को एक खास दिन है, जब अनंत चतुर्दशी व्रत, अनंत पूजा और बाबा विश्वकर्मा पूजा एक साथ मनाए जाएंगे। यह दिन भगवान विष्णु और भगवान विश्वकर्मा की विशेष आराधना का अवसर है। इन दोनों पूजा विधियों के धार्मिक महत्व और अनुष्ठानों पर आइए विस्तार से नजर डालते हैं