डम ढोल नगाड़ा बाजे,
झन झन झनकारा बाजे,
डम डम डम डमरु बाजे,
महाकाल की बारात में,
महाकाल की बारात मे ॥
दूल्हा बने भोले भंडारी,
तन पर भस्म रमाके,
भूत प्रेत नंदी गण नाचे,
बज रहे ढोल ढमाके,
मस्तक पर चंदा साजे,
नंदी पर आप विराजे,
डम डम डम डमरु बाजे,
महाकाल की बारात मे ॥
भांग धतुरा पिये हलाहल,
दूल्हा बड़ा निराला,
माँ पार्वती के दिल को भाया,
ये कैसा दिलवाला,
जिसके गले में नाग विराजे,
मृगशाला तन पर साजे,
डम डम डम डमरु बाजे,
महाकाल की बारात मे ॥
उजले होकर सज गए भोले,
मोहक रुप बनाए,
ब्रम्हा जी मृदंग बजाते,
विष्णु मंगल गाए,
श्रृंगी भृंगी भी नाचे,
देव और दानव भी नाचे,
‘गौरव तिलक’ भी नाचे,
महाकाल की बारात में,
डम डम डम डमरु बाजे,
महाकाल की बारात मे ॥
डम ढोल नगाड़ा बाजे,
झन झन झनकारा बाजे,
डम डम डम डमरु बाजे,
महाकाल की बारात में ॥
ज्योतिष शास्त्र में शुक्र ग्रह को धन, समृद्धि, प्रेम और भौतिक सुखों का कारक माना जाता है। इसका गोचर और स्थिति सभी राशियों को प्रभावित करती है। शुक्र अभी मीन राशि में है, लेकिन 17 मार्च को अस्त हो जाएगा और 23 मार्च को फिर से उदय होगा।
मत्स्य जयंती भगवान विष्णु के पहले अवतार, “मत्स्यावतार” अर्थात् मछली अवतार की विशेष पूजा के रूप में मनाई जाती है।
नवरात्रि को हिंदू धर्म का एक महत्वपूर्ण त्योहार माना जाता है, जिसे नौ दिनों तक मनाया जाता है। इसमें देवी दुर्गा और उनके नौ रूपों की पूजा की जाती है।
नवरात्रि पर्व का आगमन होते ही चारों ओर भक्ति और सकारात्मक ऊर्जा का वातावरण बन जाता है। विशेषकर चैत्र नवरात्रि में मां दुर्गा की पूजा से न केवल मन को शांति मिलती है, बल्कि जीवन में सकारात्मकता और शक्ति का संचार भी होता है।