सबको मिला सहारा,
महाकाल की शरण में,
है काल भी तो हारा,
महाकाल की शरण मे,
सबको मिला सहारा,
महाकाल की शरण मे ॥
हो वक्त चाहे कैसा,
तुम हार नहीं जाना,
उज्जैन जाके दुख तुम,
महाकाल को सुनाना,
झुकता जहान सारा,
महाकाल की शरण मे,
सबको मिला सहारा,
महाकाल की शरण मे ॥
है मौत शिव की दासी,
भूत प्रेत शिव के चाकर,
चलता समय का पहिया,
आदेश शिव का पाकर,
किस्मत का चमके तारा,
महाकाल की शरण मे,
सबको मिला सहारा,
महाकाल की शरण मे ॥
शिप्रा के तट पर बैठे,
महाकाल मेरे राजा,
जीवन का सुख मिलेगा,
उज्जैन नगरी आजा,
रोशन शहर है जहां सारा,
महाकाल की शरण मे,
सबको मिला सहारा,
महाकाल की शरण मे ॥
है रूप जोगी वाला,
उनकी अजब है माया,
भक्तों का साथ शिव ने,
हर युग में है निभाया,
‘मंत्री’ को है सहारा,
महाकाल की शरण मे,
सबको मिला सहारा,
महाकाल की शरण मे ॥
सबको मिला सहारा,
महाकाल की शरण में,
है काल भी तो हारा,
महाकाल की शरण मे,
सबको मिला सहारा,
महाकाल की शरण मे ॥
शनि त्रयोदशी का पर्व शनि देव की पूजा और उनके आशीर्वाद को प्राप्त करने के लिए बेहद खास होता है। इस दिन सही तरीके से पूजा करने और खास भोग अर्पित करने से शनि ग्रह के दुष्प्रभावों से मुक्ति मिल सकती है।
सनातन धर्म में प्रदोष व्रत का विशेष महत्व है। इस दिन भगवान शंकर की पूजा की जाती है। कहा जाता है कि इस व्रत को रखने से घर में खुशहाली आती है। साथ ही सुख और सौभाग्य में वृद्धि होती है।
हर माह के शुक्ल और कृष्ण पक्ष की त्रयोदशी तिथि को प्रदोष व्रत रखा जाता है, जो भगवान शिव की पूजा को समर्पित होता है। धार्मिक ग्रंथों के अनुसार प्रदोष व्रत कन्याओं के लिए बेहद खास होता है, इस दिन भोलेनाथ की उपासना करने और व्रत रखने से मनचाहा वर पाने की कामना पूरी होती हैं।
सनातन धर्म में प्रदोष व्रत बेहद फलदायी माना जाता है। इसका इंतजार शिव भक्तों को बेसब्री से रहता है। ऐसी मान्यता है कि इस तिथि पर शिव पूजन करने और उपवास रखने से भगवान शंकर का आशीर्वाद प्राप्त होता है।