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महाकाल की शरण मे (Mahakal Ki Sharan Mein)

महाकाल की शरण मे  (Mahakal Ki Sharan Mein)

सबको मिला सहारा,

महाकाल की शरण में,

है काल भी तो हारा,

महाकाल की शरण मे,

सबको मिला सहारा,

महाकाल की शरण मे ॥


हो वक्त चाहे कैसा,

तुम हार नहीं जाना,

उज्जैन जाके दुख तुम,

महाकाल को सुनाना,

झुकता जहान सारा,

महाकाल की शरण मे,

सबको मिला सहारा,

महाकाल की शरण मे ॥


है मौत शिव की दासी,

भूत प्रेत शिव के चाकर,

चलता समय का पहिया,

आदेश शिव का पाकर,

किस्मत का चमके तारा,

महाकाल की शरण मे,

सबको मिला सहारा,

महाकाल की शरण मे ॥


शिप्रा के तट पर बैठे,

महाकाल मेरे राजा,

जीवन का सुख मिलेगा,

उज्जैन नगरी आजा,

रोशन शहर है जहां सारा,

महाकाल की शरण मे,

सबको मिला सहारा,

महाकाल की शरण मे ॥


है रूप जोगी वाला,

उनकी अजब है माया,

भक्तों का साथ शिव ने,

हर युग में है निभाया,

‘मंत्री’ को है सहारा,

महाकाल की शरण मे,

सबको मिला सहारा,

महाकाल की शरण मे ॥


सबको मिला सहारा,

महाकाल की शरण में,

है काल भी तो हारा,

महाकाल की शरण मे,

सबको मिला सहारा,

महाकाल की शरण मे ॥

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पहली बार वट सावित्री व्रत करने के नियम

वट सावित्री व्रत हिन्दू धर्म की उन विशेष परंपराओं में से एक है जो स्त्री के श्रद्धा, समर्पण और पति के प्रति प्रेम को दर्शाता है। यह व्रत विवाहित महिलाएं अपने पति की दीर्घायु और सुखमय वैवाहिक जीवन के लिए करती हैं।

वट सावित्री व्रत कैसे करें

वट सावित्री व्रत हिंदू धर्म में स्त्रियों द्वारा पति की लंबी उम्र, अच्छे स्वास्थ्य और सुख-समृद्धि की कामना के लिए किया जाने वाला एक अत्यंत पवित्र व्रत है। यह व्रत विशेषकर ज्येष्ठ अमावस्या को किया जाता हैI

वट सावित्री व्रत की आरती

वट सावित्री व्रत ज्येष्ठ मास की अमावस्या तिथि को रखा जाता है। यह व्रत विशेष रूप से सुहागिन महिलाएं रखती हैं। इस दिन महिलाएं वटवृक्ष की पूजा, सावित्री-सत्यवान की कथा का पाठ और वट वृक्ष की परिक्रमा करती हैं।

वट सावित्री पर मंत्रों का जाप

वट सावित्री व्रत हिंदू धर्म की सबसे प्रमुख व्रत परंपराओं में से एक है, जिसे विशेष रूप से विवाहित महिलाएं अपने पति की दीर्घायु, सौभाग्य और समृद्ध जीवन के लिए करती हैं। इस व्रत का वर्णन महाभारत, स्कंद पुराण, और व्रतराज जैसे शास्त्रों में विस्तार से मिलता है।

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