Logo

मैया मेरी लाज रख ले: भजन (Mata Meri Laaj Rakh Le)

मैया मेरी लाज रख ले: भजन (Mata Meri Laaj Rakh Le)

तेरे चरणों में शीश मैं झुकाऊं,

तेरे ही गुण गाऊं,

ओ माता मेरी लाज रख ले,

लाज रख ले,

और किसके द्वारे पे मैं जाऊं,

मैया जी मेरी लाज रख ले ओ माँ ॥


मिलता नहीं जो कहीं,

सारे संसार में,

मिलता है वो तेरे,

सच्चे दरबार में,

तेरे भरे हैं भंडारे शेरोवाली,

तू जग से निराली,

है पूजे संसार तुझको,

संसार तुझको मैया,

ऊंचे ओ पहाड़ों वाली

है पूजे संसार तुझको मेरी माँ ॥


तेरी ज्योत का है,

उजियारा कण कण में,

तू ही करे दूर अंधियारा,

एक क्षण में,

बुझे दिलों को तू,

रोशन करे है,

जो दुखों से भरे है,

माँ उनको तू देती है खुशी,

देती है खुशी जोतवालिये,

तू झोलियां भरे है मेरी माँ ॥


आया लेके आस मैया,

मैं भी तेरे द्वार पे,

बालक नादान पे तू,

कर उपकार दे,

मुख बालकों से,

कभी ना माँ मोड़े,

ना वादा कभी तोड़े,

माँ करती है प्यार सबको,

प्यार सबक कभी बीच,

मझधार में ना छोड़े,

माँ करती है प्यार सबको मेरी माँ ॥


करूँ मैं आराधना,

सवेरे शाम तेरी माँ,

हो के तू दयाल,

बेड़ी पार कर मेरी माँ,

तेरे द्वार से,

जाऊंगा ना मैं खाली,

ओ मेहरोवाली,

माँ सुन ले तू मेरी विनती,

मेरी विनती खड़ा दर पर,

है लख्खा ये सवाली,

माँ सुन ले तू मेरी विनती ओ माँ ॥


तेरे चरणों में शीश मैं झुकाऊं,

तेरे ही गुण गाऊं,

ओ माता मेरी लाज रख ले,

लाज रख ले,

और किसके द्वारे पे मैं जाऊं,

मैया जी मेरी लाज रख ले ओ माँ ॥

........................................................................................................
नवरात्रि में असम के इन प्रमुख मंदिर में जरूर लगाएं हाजिरी

सिटाचल पहाड़ी पर विराजी हैं दीर्घेश्वरी देवी, नवरात्रि में असम के इन प्रमुख मंदिर में जरूर लगाएं हाजिरी

शारदीय नवरात्रि 2024: दशहरा पर क्यों होती है शस्त्र पूजा

दशहरे का महत्व, उससे जुड़ी मान्यताओं और पौराणिक कथाओं के विषय में विस्तृत जानकारी आपको भक्त वत्सल के विभिन्न लेखों के माध्यम से हमने दी हैं।

शारदीय नवरात्रि 2024: देश के इन राज्यों में दशहरे की अनोखी परंपराएं

नवरात्रि का समापन नवमी तिथि को होता है और अगले दिन विजयादशमी या दशहरा मनाया जाता है। यह असत्य पर सत्य की जीत का प्रतीक त्योहार है।

क्यों पश्चिम बंगाल की दुर्गा पूजा होती है इतनी विशेष? जानिए पहले दिन से लेकर आखिरी दिन तक की सभी परंपराएं

दुर्गा पूजा पूरे देश में धूमधाम से मनाई जाती है। लेकिन पश्चिम बंगाल में इसका महत्व अलग ही होता है। यहां दुर्गापूजा केवल 09 दिनों का एक त्योहार नहीं, बल्कि पूरे वर्ष भर के उल्लास और सांस्कृतिक धरोहर का प्रतीक है।

यह भी जाने

संबंधित लेख

HomeAartiAartiTempleTempleKundliKundliPanchangPanchang