शेरावाली के दरबार में,
होती है सुनवाई,
सारे जग की महारानी ये,
जगदम्बा महामाई,
शेरावाली के दरबार मे,
होती है सुनवाई ॥
जिसने माँगा मैया तुझसे,
पल में झोली भर गई,
मैया तेरी लाल चुनरिया,
ऐसा जादू कर गई,
किमस्त खुल गई जिसके सर पे,
लाल चुनर लहराई,
शेरावाली के दरबार मे,
होती है सुनवाई ॥
जब भी कोई भारी संकट,
मैया हम पे आए,
मैया तेरे सिवा हमें कोई,
और नज़र ना आए,
कदम कदम पे भक्तो की,
माँ तूने लाज बचाई,
शेरावाली के दरबार मे,
होती है सुनवाई ॥
तो माँ बड़े गर्व से,
सबको ये बतलाता,
हरपल रक्षा करती मेरी,
शेरावाली माता,
मेरी उंगली थाम के चलती,
मैया की परछाई,
शेरावाली के दरबार मे,
होती है सुनवाई ॥
किसको देना कब क्या देना,
माँ को सब खबर है,
हर भक्तो के ऊपर,
मेरी मैया नज़र है,
मैया की कृपा से ही,
ये श्रष्टि रची रचाई,
शेरावाली के दरबार मे,
होती है सुनवाई ॥
शेरावाली के दरबार में,
होती है सुनवाई,
सारे जग की महारानी ये,
जगदम्बा महामाई,
शेरावाली के दरबार मे,
होती है सुनवाई ॥
धार्मिक मान्यताओं के अनुसार हिंदू धर्म में किसी भी शुभ कार्य की शुरुआत से पहले गणेश जी की पूजा का विधान है। इसी लिए विघ्नहर्ता और मंगलकर्ता गणेश जी को समर्पित गणाधिप संकष्टी चतुर्थी का व्रत करने व्यक्ति के जीवन में सुख, समृद्धि का बनी रहती है।
हिंदू धर्म में मानव जीवन में कुल 16 संस्कारों का बहुत अधिक महत्व है इन संस्कारों में नौवां संस्कार कर्णवेध या कान छेदने का संस्कार।
हिन्दू धर्म में मुहुर्त का कितना महत्व है इस बात को समझने के लिए इतना ही काफी है कि हम मुहुर्त न होने पर शादी विवाह जैसी रस्मों को भी कई कई महिनों तक रोक लेते हैं।
देवशयनी एकादशी से लेकर देव उठनी एकादशी तक हिंदू धर्म में शुभ कार्य बंद रहते हैं। देव उठते ही सभी तरह के मंगल कार्य आरंभ हो जातें हैं।