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वैष्णव जन तो तेने कहिये, जे (Vaishnav Jan To Tene Kahiye Je)

वैष्णव जन तो तेने कहिये, जे (Vaishnav Jan To Tene Kahiye Je)

वैष्णव जन तो तेने कहिये,

जे पीड परायी जाणे रे ।

पर दुःखे उपकार करे तो ये,

मन अभिमान न आणे रे ॥


वैष्णव जन तो तेने कहिये,

जे पीड परायी जाणे रे ।


सकल लोकमां सहुने वंदे,

निंदा न करे केनी रे ।

वाच काछ मन निश्चळ राखे,

धन धन जननी तेनी रे ॥


वैष्णव जन तो तेने कहिये,

जे पीड परायी जाणे रे ।


समदृष्टि ने तृष्णा त्यागी,

परस्त्री जेने मात रे ।

जिह्वा थकी असत्य न बोले,

परधन नव झाले हाथ रे ॥


वैष्णव जन तो तेने कहिये,

जे पीड परायी जाणे रे ।


मोह माया व्यापे नहि जेने,

दृढ़ वैराग्य जेना मनमां रे ।

रामनाम शुं ताली रे लागी,

सकल तीरथ तेना तनमां रे ॥


वैष्णव जन तो तेने कहिये,

जे पीड परायी जाणे रे ।


वणलोभी ने कपटरहित छे,

काम क्रोध निवार्या रे ।

भणे नरसैयॊ तेनुं दरसन करतां,

कुल एकोतेर तार्या रे ॥


वैष्णव जन तो तेने कहिये,

जे पीड परायी जाणे रे ।


वैष्णव जन तो तेने कहिये,

जे पीड परायी जाणे रे ।

पर दुःखे उपकार करे तो ये,

मन अभिमान न आणे रे ॥

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शिव की उत्पत्ति (Shiv jee kee Utpatti)

शंकर, महादेव, महेश, गंगाधर, गिरीश, नीलकंठ, भोलेनाथ, रुद्र जैसे अनेकानेक नामों से विख्यात भगवान शिव को परम शक्तिशाली और सर्वश्रेष्ठ देवता कहा जाता है। सनातन धर्म के साथ-साथ आधुनिक विज्ञान भी मानता है कि सृष्टि शून्य से आरंभ होती है और शून्य पर ही सब कुछ अंत हो जाता है। संपूर्ण ब्रह्मांड का मौलिक गुण एक विराट शून्य है।

जानते हैं ग्रहों के राजकुमार बुधदेव के बारे में (Jaanate Hain Grahon ke Raajakumaar Budhadev ke Baare Mein)

ग्रहों के राजकुमार माने जाने वाले ग्रह बुध सौर मंडल के सबसे छोटे ग्रह हैं, ये सूर्य के सबसे निकटतम ग्रह हैं। इनकी सूर्य से दूरी लगभग ५८० लाख किलोमीटर हैं तथा इनका क्षेत्र ७४८ लाख किलोमीटर। नवग्रहों में राजकुमार माने गए ग्रह बुध हरे रंग के बताए गए हैं तथा ज्योतिष में इनका सम्बन्ध बुद्धि, समृद्धि, शांति, व्यापार, अकाउंट, गणित, त्वचा और ज्योतिष से बताया गया है।

शिव का शक्ति पुंज है शिवलिंग, सिंधु घाटी में भी मिला है इसकी पूजा के प्रमाण, इससे जुड़ी इन भ्रातियों से बचें (Shiv ka Shakti Punj hai Shivaling, Sindhu Ghaatee mein Bhee mila Hai isakee Pooja ke Pramaan, isase judee in bhraatiyon se bachen)

देवाधिदेव महादेव की पूजा दो स्वरूप में होती है। एक जो आपने देखा होगा कि वे कैलाश पर्वत पर समाधि की मुद्रा में या माता पार्वती के साथ बैठे हुए हैं और दूसरा शिवलिंग के रूप में जिसकी पूजा हम सभी करते है।

शिव के विचित्र श्रृंगार से जुड़े हैं कई अनोखे रहस्य, समझिए नाग, भस्म, नंदी, जटाएं और संपूर्ण शिव श्रृंगार का अर्थ (Shiv ke Vichitr Shrrngaar se Jude hain kaee Anokhe Rahasy, Samajhie Naag, Bhasm, Nandee, Jataen aur Sampoorn Shiv Shrrngaar ka Arth)

हिन्दू धर्म में हम जिन जिन देवताओं की पूजा करते हैं उन सब की अपनी एक अलग छवि और आभा मंडल है जो भक्तों का मन मोह लेती है। लेकिन भोलेपन के स्वामी भगवान भोलेनाथ शिव इस मामले में भी विरले ही हैं।

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