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अक्षय तृतीया मूलांक ज्योतिष

अक्षय तृतीया मूलांक ज्योतिष

अक्षय तृतीया पर चमक सकता है इन मूलांकों का भाग्य, धन लाभ के साथ मिलेंगे नए अवसर


हिंदू पंचांग के अनुसार, अक्षय तृतीया का पर्व वैशाख मास के शुक्ल पक्ष की तृतीया तिथि को मनाया जाता है। यह दिन न केवल धार्मिक दृष्टिकोण से अत्यंत शुभ माना जाता है, बल्कि ज्योतिष शास्त्रों के अनुसार भी यह दिन विशेष फलदायी होता है। इस साल अक्षय तृतीया 30 अप्रैल, रविवार को मनाई जाएगी। ऐसा कहा जाता है कि इस वर्ष की अक्षय तृतीया विशेष रूप से कुछ मूलांकों के लिए अत्यंत लाभकारी साबित होगी।


2 मूलांक वालों के लिए बन रहा नए निवेश का योग

मूलांक 2 के स्वामी चंद्रमा हैं, जो मन, भावनाओं और कल्पना शक्ति का प्रतीक माने जाते हैं। अक्षय तृतीया के दिन इस मूलांकों के लोगों के रुके हुए कार्य पूरे हो सकते हैं। साथ ही, नए निवेश का योग है और नौकरी तथा करियर में तरक्की के संकेत भी मिल सकते हैं।


मूलांक 4 के लोगों को होगी व्यापार में लाभ 

मूलांक 4 वाले लोग आमतौर पर कुछ अलग हटकर सोचते हैं और जोखिम लेने से नहीं डरते। इसी कारण अक्षय तृतीया का दिन उनके लिए अत्यंत शुभ होगा।  साथ ही पुराने निवेशों, व्यापार या किसी नए सौदे से अचानक लाभ मिल सकता है। 


मूलांक 6 वालों को मिल सकता है प्रमोशन 

शुक्र का संबंध भौतिक सुख, वैभव और कला से होता है, इसलिए अक्षय तृतीया के दिन मूलांक 6 वालों का किसी बड़ी आर्थिक उपलब्धि का योग बन रहा है। साथ ही अंक ज्योतिष के अनुसार, इस दिन प्रमोशन या कोई शुभ ऑफर भी आ सकता है। 


मूलांक 7 के छात्रों को मिलेंगे उच्च शिक्षा के अवसर

केतु अध्यात्म और रहस्य से संबंधित है। इसीलिए मूलांक 7 वाले लोगों के लिए अक्षय तृतीया का दिन शुभ होगा, जो उन्हें आत्मिक शांति और आर्थिक संतुलन दिला सकता है। साथ ही, इस दिन विदेश यात्रा या उच्च शिक्षा से जुड़ी योजनाओं में भी सफलता मिल सकती है।


मूलांक 9 वालों के परिवार में आएंगी खुशियां

अक्षय तृतीया पर मूलांक 9 के लोगों को धन लाभ और सम्मान दोनों प्राप्त होने के योग हैं। व्यापार में सफलता मिलेगी और पारिवारिक जीवन में भी शांति बनी रहेगी।


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हाथ जोड़कर ही क्यों करते हैं प्रार्थना?

ईश्वर से जुड़ने और अपनी भावनाओं को व्यक्त करने के अपने खास तरीके हैं। हिंदू धर्म में, प्रार्थना करते समय आंखें बंद कर लेना और हाथ जोड़कर खड़े होते हैं। हाथ जोड़ना सिर्फ एक नमस्कार नहीं है, बल्कि यह विनम्रता, सम्मान और आभार का प्रतीक है।

सिर पर कपड़ा बांधकर पूजा क्यों की जाती है?

हिंदू धर्म में मंदिर, घर या किसी भी पवित्र स्थान पर पूजा करते समय सिर को ढकने की परंपरा सदियों से चली आ रही है। यह माना जाता है कि पूजा के दौरान सिर ढकने से व्यक्ति को आध्यात्मिक लाभ मिलता है। महिलाएं आमतौर पर साड़ी का पल्लू या दुपट्टा और पुरुष रूमाल का उपयोग करते हैं।

आरती के बाद क्यों फेरते हैं हाथ ?

हिंदू धर्म में पूजा-पाठ का एक अहम हिस्सा है आरती। लगभग हर घर में सुबह-शाम देवताओं की आरती की जाती है। लेकिन क्या आप जानते हैं कि आरती करने के पीछे क्या खास कारण है और आरती के दौरान हम हाथ क्यों फेरते हैं? आइए इस लेख में विस्तार से जानते हैं इसका महत्व क्या है?

पूजा में क्यों नहीं जलाना चाहिए अगरबत्ती?

सारी दुनिया में बांस ऐसी लकड़ी है जिसे जलाने से लोग दूर भागते हैं। हिंदू धर्म में इसे हमेशा से अशुभ माना गया है। न तो रसोई में और न ही पूजा-पाठ में बांस का इस्तेमाल होता है।

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