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होलाष्टक के यम-नियम क्या हैं

होलाष्टक के यम-नियम क्या हैं

Holashtak Niyam: होलाष्टक के इन 8 दिनों में भूलकर भी न करें ये काम, वरना हो सकता है अनिष्ट


हिंदू पंचांग के अनुसार होलाष्टक होली से पहले आठ दिनों की एक विशेष अवधि है, जो फाल्गुन शुक्ल अष्टमी से होलिका दहन तक चलती है। इस अवधि के दौरान कोई भी शुभ कार्य करना वर्जित होता है। धार्मिक मान्यता के अनुसार, इन दिनों में ग्रहों की स्थिति अशुभ मानी जाती है, जिससे नए काम में बाधा आ सकती है। इसलिए शास्त्रों में इस दौरान कुछ काम करने और कुछ न करने की सलाह दी जाती है।



होलाष्टक के आठ दिनों में क्या करें?


  1. भगवान विष्णु और अवतार नरसिंह की पूजा - इस समय भगवान विष्णु, खासकर उनके अवतार नरसिंह की पूजा करना बहुत शुभ माना जाता है। धार्मिक मान्यता के अनुसार, प्रह्लाद ने इन दिनों में भगवान विष्णु का ध्यान किया था, जिससे उन्हें अपनी समस्याओं से मुक्ति मिली थी।
  2. होलिका पूजन - फाल्गुन शुक्ल अष्टमी से प्रतिदिन होलिका पूजन करने से नकारात्मक ऊर्जाएं दूर होती हैं। विशेषकर पूर्णिमा के दिन होलिका दहन से पहले नारियल, गेहूं, चना आदि अर्पित कर पूजन करना शुभ होता है।
  3. दान-पुण्य करें - इस दौरान ब्राह्मणों और गरीब व जरूरतमंद लोगों को अन्न, वस्त्र, धन आदि दान करना विशेष फलदायी माना जाता है। इससे जीवन में सुख-समृद्धि आती है और पितृ दोष व ग्रह दोष दूर होते हैं।
  4. धार्मिक सत्संग व भजन-कीर्तन करें - होलाष्टक के दौरान भागवत कथा, श्रीमद्भागवत, रामायण का पाठ करना और सत्संग करना शुभ व फलदायी होता है। इससे मन शांत रहता है और घर-परिवार में सकारात्मक ऊर्जा बनी रहती है।
  5. रंगों से सकारात्मक ऊर्जा फैलाएं - इन दिनों में रंग संबंधी अनुष्ठान करने से सकारात्मक ऊर्जा फैलती है। घर को साफ-सुथरा रखें और हल्के रंगों से सजाएं।



होलाष्टक के आठ दिनों में क्या न करें?


  1. कोई भी शुभ कार्य न करें - होलाष्टक के दौरान विवाह, गृह प्रवेश, मुंडन, जनेऊ संस्कार, नामकरण आदि शुभ कार्य वर्जित माने गए हैं। इस दौरान किए गए कार्यों का फल नहीं मिलता और व्यक्ति को बाधाओं का सामना करना पड़ सकता है।
  2. घर में लड़ाई-झगड़ा न करें और अपशब्दों का प्रयोग न करें - इस दौरान घर में लड़ाई-झगड़ा करना, किसी के साथ दुर्व्यवहार करना और दूसरों का अपमान करना अशुभ माना जाता है। इससे नकारात्मक ऊर्जा आकर्षित हो सकती है, जिससे पारिवारिक जीवन में परेशानियां आ सकती हैं।
  3. बाल और नाखून काटना वर्जित है - होलाष्टक के आठ दिनों में बाल कटवाना, शेविंग करना और नाखून काटना वर्जित माना जाता है। धार्मिक मान्यता है कि इस दौरान शरीर से कोई भी वस्तु निकालने से दुर्भाग्य बढ़ सकता है।
  4. नए कपड़े, आभूषण या वाहन न खरीदें - इस समय नए कपड़े, आभूषण, वाहन या संपत्ति खरीदने से बचना चाहिए। इस दौरान खरीदी गई चीजों की स्थायित्व कम होती है और वे जल्दी नष्ट हो सकती हैं।
  5. तामसिक भोजन अधिक न करें - इस दौरान मांस, मदिरा, प्याज, लहसुन, मांसाहारी भोजन और नशीले पदार्थों से बचें। इससे मानसिक और शारीरिक ऊर्जा प्रभावित होती है और नकारात्मकता बढ़ती है।




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शिवलिंग पर जल चढ़ाने की कथा

सनातन धर्म में भगवान शिव को सुख-सौभाग्य, सत्य और आस्था का प्रतीक माना जाता है। इनकी पूजा करने से व्यक्ति को सभी प्रकार के भय से मुक्ति मिल सकती है।

शिव पुराण में महाशिवरात्रि कथा

हर महीने कृष्ण पक्ष की चतुर्दशी को शिवरात्रि मनाई जाती है, जिसे मासिक शिवरात्रि कहते हैं। फाल्गुन माह के कृष्ण पक्ष की चतुर्दशी को महाशिवरात्रि के नाम से जाना जाता है, जिसका विशेष महत्व है। महाशिवरात्रि का पर्व शिव भक्तों के लिए बहुत महत्वपूर्ण है।

शिवजी को काल भैरव क्यों कहते हैं

मध्य प्रदेश के उज्जैन शहर में क्षिप्रा नदी के तट पर भगवान शिव महाकाल के रूप में विराजमान हैं। बारह ज्योतिर्लिंगों में यह तीसरे स्थान पर आता है। उज्जैन में स्थित यह ज्योतिर्लिंग देश का एकमात्र शिवलिंग है जो दक्षिणमुखी है। मंदिर से कई प्राचीन परंपराएं जुड़ी हुई हैं।

महाशिवरात्रि पर बेलपत्र चढ़ाने के नियम

महाशिवरात्रि, हिंदू धर्म का एक अत्यंत महत्वपूर्ण पर्व है, जो भगवान शिव और माता पार्वती के दिव्य विवाह के उपलक्ष्य में मनाया जाता है। इस पावन अवसर पर, प्रत्येक हिंदू घर में उत्साह और श्रद्धा का वातावरण होता है। शिव भक्त इस दिन विशेष रूप से व्रत रखते हैं और चारों पहर में भगवान शिव की आराधना करते हैं।

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