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कालाष्टमी अप्रैल 2025 में कब है

कालाष्टमी अप्रैल 2025 में कब है

Kalashtami 2025 Date: अप्रैल में इस दिन मनाई जाएगी कालाष्टमी, जानिए सही तिथि-मुहूर्त; पूजा विधि और उपाय 


हिंदू पंचांग के अनुसार, कालाष्टमी हर महीने के कृष्ण पक्ष की अष्टमी तिथि को मनाई जाती है। इस दिन भगवान शिव के रौद्र रूप काल भैरव की पूजा की जाती है, जिससे नकारात्मक ऊर्जा दूर होती है और जीवन में शांति, समृद्धि और सुरक्षा का संचार होता है। 

निशा काल में करें काल भैरव की पूजा

अप्रैल माह के कृष्ण पक्ष की अष्टमी तिथि 20 अप्रैल को रात 7:00 बजे शुरू होगी और 21 अप्रैल को रात 6:58 मिनट पर समाप्त होगी। इस दिन निशा काल में पूजा का विशेष समय होता है, जो 20 अप्रैल की रात 12:04 बजे से 12:51 बजे तक रहेगी। रविवार 20 अप्रैल को सर्वार्थ सिद्धि योग, रवि योग और शिववास योग का भी संयोग बन रहा है, जो इस दिन की पूजा को और भी अधिक फलदायी बनाता है।

इस दिन शिव पुराण का पाठ करने से मिलती है मन की शांति

  • कालाष्टमी के दिन सुबह जल्दी उठकर स्नान करें और स्वच्छ वस्त्र धारण करें।
  • इस दिन विशेष तौर पर घर और मंदिर की सफाई करें और घर के वातावरण को पवित्र करें।
  • भगवान काल भैरव के मूर्ति या तस्वीर की स्थापना करें और चंदन, रोली, अक्षत और पुष्प अर्पित करें।
  • भगवान काल भैरव को गुड़, दही और हलवा का भोग अर्पित करें।
  • फिर दीपक जलाकर धूप-अगरबत्ती करें और ‘ॐ ह्रीं बटुकाय आपदुद्धारणाय कुरू कुरू बटुकाय ह्रीं’ मंत्र का 108 बार जाप करें। साथ ही, शिव पुराण का पाठ करें। इसे भक्ति भाव के साथ करने से मानसिक शांति मिलती है।
  • इस दिन काले कुत्ते को भोजन दें। यह भैरव बाबा को प्रसन्न करने का खास उपाय माना जाता है।

गरीबों को अनाज और वस्त्र का दान देने से होते हैं काल भैरव प्रसन्न

  • कालाष्टमी के दिन जानवरों को खाना खिलाएं और उन्हें प्यार दें। काल भैरव अत्यंत प्रसन्न होते हैं और उनका आशीर्वाद प्राप्त होता है।
  • रूप से गरीबों को अनाज और वस्त्र का दान देना चाहिए। साथ ही, यह करते समय अपने मन को नकारात्मक विचारों से दूर रखना चाहिए।
  • इस दिन काल भैरव के मंत्रों का जाप करके डर, बाधाओं और बुरी नजर से आप निजात पा सकते हैं।
  • इस दिन मनसाहारी खाने और शराब का सेवन भूल कर भी न करें और घर के बुजुर्गों के साथ अच्छे से व्यवहार करें तथा उनका आशीर्वाद लें। 

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सूर्य स्तोत्र

विकर्तनो विवस्वांश्च मार्तण्डो भास्करो रविः।
लोक प्रकाशकः श्री मांल्लोक चक्षुर्मुहेश्वरः ॥ लोकसाक्षी त्रिलोकेशः कर्ता हर्ता तमिस्रहा।

छठी देवी स्तोत्र (Chhathi Devi Stotram)

नमो देव्यै महादेव्यै सिद्ध्यै शान्त्यै नमो नम:।
शुभायै देवसेनायै षष्ठी देव्यै नमो नम: ।।

सूर्य मंत्र

ॐ सूर्याय नमः
ॐ ऐहि सूर्य सहस्त्रांशों तेजो राशे जगत्पते, अनुकंपयेमां भक्त्या, गृहाणार्घय दिवाकरः

सूर्य प्रार्थना

प्रातः स्मरामि खलु तत्सवितुर्वरेण्यं रूपं हि मंडलमृचोऽथ तनुर्यजूंषि।
सामानि यस्य किरणाः प्रभवादिहेतुं ब्रह्माहरात्मकमलक्ष्यमचिन्त्यरूपम् ॥

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