फाल्गुन मास का प्रारंभ होते ही हिंदू धर्म में कई महत्वपूर्ण व्रत और त्योहार आते हैं। फाल्गुन मास में मनाए जाने वाला रंगों का त्यौहार जिसे हम होली कहते हैं। उसके ठीक 8 दिन पूर्व हिंदू कैलेंडर के अनुसार होलाष्टक का आगमन होता है, होलाष्टक यानी कि इसका अर्थ है होली के 8 दिन पहले। यह ऐसे अशुभ दिन की तरह माना जाता है, जिसमें ना तो आप शुभ कार्य की शुरुआत कर सकते हैं और ना ही शुभ कार्य करने के बारे में विचार कर सकते हैं। हालांकि इस दौरान भी कई सारे ऐसे व्रत हैं जो इस बीच आते हैं और लोग इसकी भी पूजा विधि-विधान से करते हैं। इस साल होलाष्टक की शुरुआत 7 मार्च से होगी, वहीं होलाष्टक का समापन होली के एक दिन पहले यानी 13 मार्च को होलिका दहन के साथ समाप्त हो जाएगा। आइए जानते हैं 4 मार्च (मंगलवार) से 9 मार्च (रविवार) तक पड़ने वाले महत्वपूर्ण व्रत और त्योहारों के बारे में। इस दौरान भी कौन-कौन से व्रत और त्योहार मनाए जाएंगे।
विजया एकादशी का हिंदू धर्म में विशेष स्थान है। यह फाल्गुन मास के कृष्ण पक्ष की एकादशी होती है। इस दिन भगवान विष्णु की पूजा की जाती है और व्रत रखा जाता है।
महत्व:
क्या करें?
गोविंद द्वादशी भगवान विष्णु को समर्पित एक पवित्र व्रत है।
महत्व:
क्या करें?
प्रदोष व्रत हर महीने की त्रयोदशी तिथि को रखा जाता है और यह भगवान शिव की आराधना के लिए समर्पित होता है।
महत्व:
क्या करें?
फाल्गुन शुक्ल पक्ष की अष्टमी से लेकर पूर्णिमा तक होलाष्टक का समय होता है।
महत्व:
क्या करें?
प्रत्येक माह की कृष्ण पक्ष की चतुर्दशी को मासिक शिवरात्रि मनाई जाती है।
महत्व:
क्या करें?
फाल्गुन अमावस्या का विशेष महत्व होता है क्योंकि यह पितरों को समर्पित दिन होता है।
महत्व:
क्या करें?
बच्चे के जन्म के बाद हिंदू परंपरा में एक महत्वपूर्ण अनुष्ठान किया जाता है जिसे मुंडन संस्कार कहा जाता है। यह अनुष्ठान न केवल धार्मिक महत्व रखता है बल्कि यह व्यक्ति की आत्मा की शुद्धि और नई शुरुआत का प्रतीक भी है।
माघ महीने का महत्व हिंदू धर्म में बहुत अधिक है खासकर जब बात विवाह की आती है। इस महीने में गंगा स्नान और भगवान विष्णु के साथ मां लक्ष्मी की पूजा का विशेष महत्व है। साथ ही दान-पुण्य और मांगलिक कार्यों के लिए यह महीना अत्यंत शुभ माना जाता है।
फरवरी का महीना नई उमंग और उत्साह का प्रतीक है जब लोग अपने जीवन में नए सपनों को पूरा करने की योजना बनाते हैं। चाहे वह नया व्यवसाय शुरू करना हो
साल 2025 में अपने नन्हे मेहमान के आगमन के साथ आप उनके नामकरण संस्कार की तैयारी में जुट गए होंगे। यह एक ऐसा पल है जो न केवल आपके परिवार के लिए बल्कि आपके बच्चे के भविष्य के लिए भी बहुत महत्वपूर्ण है।