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हठयोगी, जो सिर पर धारण किए हैं 225000 रुद्राक्ष

हठयोगी, जो सिर पर धारण किए हैं 225000 रुद्राक्ष

कुंभ के हठयोगी जो सिर पर धारण किए हैं सवा दो लाख रुद्राक्ष, जानिए इसके पीछे की मान्यता 


महाकुंभ भारत का एक विशाल धार्मिक समागम है जो हर 12 साल में आयोजित किया जाता है। यह हिंदू धर्म का सबसे बड़ा मेला है और दुनिया के सबसे बड़े धार्मिक समागमों में से एक है। वहीं 12 साल के बाद प्रयागराज में महाकुंभ का आयोजन होने जा रहा है। अब ऐसे में महाकुंभ कई साधु-संत हैं। जो हठयोग कर रहे हैं और भगवान शिव को प्रसन्न करने के लिए कड़ी तपस्या में लीन है। आइए भक्त वत्सल के इस लेख में  एक ऐसे हठयोगी के बारे में जानते हैं, जिन्होंने अपनी सिर पर 225000 रुद्राक्ष धारण किया हुआ है। 


महंत गीतानंद गिरि बाबा करते हैं 225000 रुद्राक्ष धारण


मात्र दो वर्ष की उम्र में अपने माता-पिता द्वारा श्री शंभू पंच दशनाम आवाहन अखाड़े के श्री महंत नारायण गिरि महाराज को सौंप दिए गए थे। महाराज ने उन्हें मातृत्व का स्नेह और पितृत्व का संरक्षण प्रदान किया और बाल संन्यासी के रूप में दीक्षित किया। आज वही बाल संन्यासी आवाहन अखाड़े के सेक्रेटरी महंत गीतानंद गिरी के रूप में जाने जाते हैं और उन्हें लोग रुद्राक्ष वाले बाबा के नाम से पुकारते हैं।


महाकुंभ के दौरान संगम तट पर अपना डेरा जमाए बाबा गीतानंद की दिनचर्या सुबह चार बजे शुरू होती है। उनका धूना दिनभर भक्तों से गुलजार रहता है। अक्सर भक्तों की इतनी भीड़ होती है कि उन्हें साधना के लिए धूना छोड़कर अखाड़े के भीतर जाना पड़ता है। रविवार को धूना पर भक्तों को उनके सानिध्य का लाभ मिला।


बाबा गीतानंद का जीवन एक प्रेरणादायक कहानी है। इतनी कम उम्र में घर-परिवार से दूर होकर उन्होंने सन्यास का मार्ग चुना और आज वे एक सम्मानित संत हैं। उनका जीवन हमें सिखाता है कि जीवन में सफलता पाने के लिए हमें कठिन परिश्रम करना होता है और अपने लक्ष्य के प्रति समर्पित रहना होता है।


हठयोगी बाबा ने लिया 12 वर्ष का प्रण


छह साल पहले प्रयागराज में आयोजित अर्धकुंभ के दौरान, एक हठयोगी ने एक अद्भुत संकल्प लिया था। उन्होंने निश्चय किया था कि वे अगले बारह वर्षों तक प्रतिदिन बारह घंटे अपने सिर पर सवा लाख रुद्राक्ष धारण करेंगे। यह संकल्प उन्होंने मानवता और सनातन धर्म की रक्षा के लिए लिया था। उनका यह संकल्प इतना दृढ़ था कि उन्होंने यह लक्ष्य समय से पहले ही पूरा कर लिया।


अभी तक छह वर्ष ही बीते हैं, लेकिन उन्होंने इस संकल्प को पूरा करने में इतनी प्रगति कर ली है कि उनके सिर पर अब 25 हजार मालाएं हैं, जिनमें सवा दो लाख रुद्राक्ष हैं। इस विशाल मुकुट का वजन 45 किलो हो गया है। इतना ही नहीं, उनके एक शिष्य ने उन्हें रुद्राक्ष की एक जैकेट भी भेंट की है, जिसे वे इस मुकुट के साथ धारण करते हैं।


यह हठयोगी बाबा अपने इस अद्वितीय संकल्प के कारण लोगों के लिए प्रेरणा का स्रोत बन गए हैं। उनका यह संकल्प दिखाता है कि दृढ़ निश्चय और समर्पण से कोई भी लक्ष्य प्राप्त किया जा सकता है। वे सनातन धर्म के प्रति अपने अटूट विश्वास और मानवता के कल्याण के लिए किए गए इस संकल्प के माध्यम से लाखों लोगों को प्रेरित कर रहे हैं।


हठयोगी बाबा इस तरह करते हैं मुकुट धारण


हर रोज सुबह पांच बजे, जब आसमान अभी भी नींद से जाग रहा होता है, बाबा मंत्रों के जाप के साथ अपने दिन की शुरुआत करते हैं। इस दौरान, वे एक भव्य रुद्राक्ष का मुकुट और एक विशेष जैकेट धारण करते हैं। बारह घंटे की कठिन तपस्या के बाद, शाम को पांच बजे, वे उसी विधि से इन वस्त्रों को उतारते हैं।


उन्होंने सिर्फ सवा लाख रुद्राक्ष धारण करने का संकल्प लिया था, लेकिन जैसे ही श्रद्धालुओं ने उनके रुद्राक्ष मुकुट को देखा, वे उन्हें रुद्राक्ष और मालाएं भेंट करने लगे। अभी आधी तपस्या भी पूरी नहीं हुई है, और मुकुट का वजन पहले ही 45 किलो हो चुका है। समय के साथ इसका वजन और बढ़ेगा, लेकिन बाबा कहते हैं कि उन्हें इस भार का जरा भी एहसास नहीं होता है।


महाकुंभ के बाद, प्रयाग कुंभ में वे अपना यह संकल्प पूरा करेंगे। तब वे इस विशाल रुद्राक्ष मुकुट को संगम में प्रवाहित कर देंगे।


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