ढोलिडा ढोल रे वागाड़,
मारे हिंच लेवी छे,
हिच लेवी छे,
हामे जापे जावा से,
हिच लेवी छे,
हामे जापे जावा से,
ढोलिडा ,,,,,,,,,
ढोलिडा ढोल रे वगाड़,
मारे हिंच लेवी छे,
ढोलिडा ढोल रे वगाड़,
मारे हिंच लेवी छे ॥
तारे किया भाई ने जोगळे,
हवे हिच लेवी छे,
तारे किया भाई ने जोगळे,
हवे हिच लेवी छे,
म्हारा सायबा तारी जोगळे,
मारे हिच लेवी छे,
म्हारा सायबा तारी जोगळे,
मारे हिच लेवी छे,
तारा ढोल नी माते,
डांडियों पड़े ने,
मारा हिवड़ा लेवे जाए,
मारा हिवड़ा लेवे जाए,
मारा दिलड़ा लेवे जाए,
ढोलिडा ,,,,,,,,,
ढोलिडा ढोल रे वगाड़,
मारे हिंच लेवी छे ॥
तारे किया भाई ने डांडिये,
हवे हिच लेवी छे,
तारे किया भाई ने डांडिये,
हवे हिच लेवी छे,
म्हारा सायबा तारी डांडिये,
हवे हिच लेवी छे,
म्हारा सायबा तारी डांडिये,
मारे हिच लेवी छे,
तारा ढोल नी माते,
जद डांडियों पड़े ने,
मारा हिवड़ा लेवे जाए,
मारा हिवड़ा लेवे जाए,
मारा दिलड़ा लेवे जाए,
ढोलिडा ,,,,,,,,,
ढोलिडा ढोल रे वगाड़,
मारे हिंच लेवी छे ॥
तारे किया भाई ने देशे,
हवे हिच लेवी छे,
तारे किया भाई ने देशे,
हवे हिच लेवी छे,
म्हारा सायबा तारी देशे,
हवे हिच लेवी छे,
म्हारा सायबा तारी देशे,
मारे हिच लेवी छे,
तारा ढोल नी माते,
जद डांडियों पड़े ने,
मारा हिवड़ा लेवे जाए,
मारा हिवड़ा लेवे जाए,
मारा दिलड़ा लेवे जाए,
ढोलिडा ,,,,,,,,,
ढोलिडा ढोल रे वगाड़,
मारे हिंच लेवी छे ॥
ढोलिडा ढोल रे वागाड़,
मारे हिंच लेवी छे,
हिच लेवी छे,
हामे जापे जावा से,
हिच लेवी छे,
हामे जापे जावा से,
ढोलिडा ,,,,,,,,,
ढोलिडा ढोल रे वगाड़,
मारे हिंच लेवी छे,
ढोलिडा ढोल रे वगाड़,
मारे हिंच लेवी छे ॥
फरवरी माह में प्रकृति में भी बदलाव आता है, मौसम में ठंडक कम होने लगती है। पेड़ों पर कोमल पत्ते आने लगते हैं। इस साल फरवरी में गुरु मार्गी होंगे और सूर्य, बुध भी राशि परिवर्तन करेंगा। इसलिए यह महीना बहुत खास रहने वाला है।
इष्टि यज्ञ वैदिक काल के प्रमुख अनुष्ठानों में से एक है। संस्कृत में ‘इष्टि’ का अर्थ ‘प्राप्ति’ या ‘कामना’ होता है। यह यज्ञ विशेष रूप से मनोकामना पूर्ति और जीवन में समृद्धि लाने के उद्देश्य से किया जाता है।
हनुमान जी भगवान श्रीराम के परम भक्त हैं। इसलिए, श्रीराम की पूजा में भी हनुमान जी का विशेष महत्व है। हनुमान जी को संकटमोचन भी कहा जाता है, क्योंकि वे अपने भक्तों के सभी दुःख और कष्ट हर लेते हैं।
देशभर में रामनवमी का पर्व धूमधाम से मनाया जाता है। इसलिए, राम भक्त पूरे साल इस दिन का बड़ी ही बेसब्री से इंतजार करते हैं। यह हर साल चैत्र माह के शुक्ल पक्ष की नवमी तिथि को मनाया जाता है।