गजानन गणेशा है गौरा के लाला,
दयावन्त एकदन्त स्वामी कृपाला ॥
है सबसे जुदा और सबसे ही न्यारी,
है शंकर के सूत तेरी मूषक सवारी,
होती देवों में प्रथम तेरी पूजा,
नहीं देव कोई है तुमसे निराला,
गजानन गणेशा हैं गौरा के लाला,
दयावन्त एकदन्त स्वामी कृपाला ॥
जो है बाँझ संतान उनको मिली है,
जो है सुने आँगन वहां कलियाँ खिली है,
कोढ़ी तुम देते कंचन सी काया,
भूखे को देते हो तुम ही निवाला,
गजानन गणेशा हैं गौरा के लाला,
दयावन्त एकदन्त स्वामी कृपाला ॥
रिद्धि और सिद्धि हो तुम देने वाले,
ये तन मन ये जीवन है तेरे हवाले,
‘अविनाश’ गाए और छूटे ना सरगम,
बना दे ‘बिसरया’ तू गीतों की माला,
गजानन गणेशा हैं गौरा के लाला,
दयावन्त एकदन्त स्वामी कृपाला ॥
गजानन गणेशा है गौरा के लाला,
दयावन्त एकदन्त स्वामी कृपाला ॥
सनातन धर्म में भगवान श्रीकृष्ण को पूर्णावतार माना गया है। उनका जन्म भाद्रपद मास के कृष्ण पक्ष की अष्टमी तिथि को हुआ था।
श्याम सलोनो प्यारो म्हारो, मैं लुल लुल जावा
मन को मोर्यो नाचन लाग्यो झूम झूम गावा ,
दिखाऊं कोनी लाड़लो,
नजर लग जाए,
श्याम दर्शन,
जरा दिखा जाओ,