मैया के पावन चरणों में,
तू सर झुका के देख ले,
देती है वरदान सबको,
तू भी आके देख ले,
मैया के पावन चरणो में,
शेरावाली की जय,
मेहरावाली की जय ॥
माँ तेरे घट घट की जाने,
इसको क्या बतलायेगा,
मांगने की क्या ज़रूरत,
ऐसे ही मिल जाएगा,
भोली भाली मैया को बस,
तू रिझा कर देख ले,
देती है वरदान सबको,
तू भी आके देख ले,
मैया के पावन चरणो में,
शेरावाली की जय,
मेहरावाली की जय ॥
सच्चे भक्तों से मिलने का,
माँ को रहता चाव है,
रोली मोली चुनरी से,
बढ़कर तेरे भाव है,
प्रेम के दो बूँद आंसू,
तो बहकर देख ले,
देती है वरदान सबको,
तू भी आके देख ले,
मैया के पावन चरणो में,
शेरावाली की जय,
मेहरावाली की जय ॥
माँ सदा करती रखवाली,
भक्तों के परिवार की,
सारा जग जाने है महिमा,
मैया के दरबार की,
‘बिन्नू’ मैया दौड़ी आये,
तू बुलाकर देख ले,
देती है वरदान सबको,
तू भी आके देख ले,
मैया के पावन चरणो में,
शेरावाली की जय,
मेहरावाली की जय ॥
मैया के पावन चरणों में,
तू सर झुका के देख ले,
देती है वरदान सबको,
तू भी आके देख ले,
मैया के पावन चरणो में,
शेरावाली की जय,
मेहरावाली की जय ॥
हिंदू धर्म में मकर संक्रांति को सूर्यदेव की उपासना और शनिदोष से मुक्ति के लिए सबसे उपयुक्त माना जाता है। इस दिन सूर्यदेव अपने पुत्र शनिदेव के घर आते हैं। वैदिक ज्योतिष के अनुसार, साल में 12 संक्रांतियां होती हैं।
हिंदू धर्म में माघ माह का विशेष महत्व है। इस साल 14 जनवरी से माघ माह शुरू हो रहा है। माघ माह कृष्ण पक्ष की प्रतिपदा तिथि के पहले दिन से शुरू होकर माघ पूर्णिमा तक चलता है।
2025 में, मकर संक्रांति विशिष्ट योग में 14 जनवरी को मनाई जाएगी। 14 जनवरी को सुबह 8 बजकर 41 मिनट पर सूर्य का मकर राशि में प्रवेश होगा। ऐसे में सूर्योदय से लेकर सूर्यास्त तक स्नान-ध्यान और दान का शुभ मुहूर्त रहेगा।
आत्मा के कारक सूर्य देव हर महीने एक राशि से दूसरी राशि में संक्रमण करते हैं। सूर्य देव के इस राशि परिवर्तन को ही संक्रांति कहते हैं। हर संक्रांति का अपना खास महत्व होता है और इसे धूमधाम से मनाया जाता है।