Logo

क्या है जातकर्म संस्कार

क्या है जातकर्म संस्कार

क्या है जातकर्म संस्कार? जानिए क्या होती है इसे पूरा करने की सही विधि


हिंदू धर्म में जीवन को पवित्र और श्रेष्ठ बनाने के लिए 16 संस्कारों का प्रावधान है। ये संस्कार जीवन के विभिन्न चरणों में संपन्न किए जाते हैं। इन्हीं में से एक है जातकर्म संस्कार, जिसे शिशु के जन्म के बाद किया जाता है। यह संस्कार 16 संस्कारों में चौथे क्रम पर आता है। इस संस्कार का उद्देश्य शिशु को स्वस्थ, बलशाली और मेधावी बनाना होता है। इसमें विशेष पूजा और परंपराएं निभाई जाती हैं। यह शिशु और उसके माता-पिता के लिए शुभ मानी जाती हैं। तो आइए, इस आर्टिकल में जातकर्म संस्कार के बारे में विस्तार से जानते हैं। 



क्या होता है जातकर्म संस्कार? 


जातकर्म संस्कार शिशु के जीवन की शुभ शुरुआत का प्रतीक है और उसके उज्ज्वल भविष्य की कामना के साथ किया जाता है। जातकर्म संस्कार के दौरान शिशु के जन्म पर विशेष कर्म किए जाते हैं। इनमें शिशु को स्नान कराना, उसे शहद और घी चटाना, स्तनपान कराना और विशेष मंत्रों का उच्चारण करना शामिल होता है। यह संस्कार शिशु के मानसिक, शारीरिक और आध्यात्मिक विकास हेतु किया जाता है। ऐसी मान्यता है कि इस संस्कार से शिशु में तेजस्विता और बल का विकास होता है।



जातकर्म संस्कार के लाभ 


इस संस्कार के माध्यम से शिशु के शरीर में गर्भकाल के दौरान हुए दोषों को दूर किया जाता है। जैसे सुवर्ण वातदोष, मूत्र दोष, रक्त दोष आदि। वहीं, इस संस्कार से शिशु की मेधा और स्मरण शक्ति में भी वृद्धि होती है। इसे करने से शिशु को दीर्घायु और बेहतर नेत्रज्योति की भी प्राप्ति होती है।



जातकर्म संस्कार की विधि


इस संस्कार की शुरुआत शिशु को स्नान कराकर किया जाता है। शिशु के शरीर पर उबटन लगाने के बाद उसे नहाया जाता है। कहते हैं कि गर्भ में बच्चा सांस नहीं लेता और ना ही मुख खुला होता है। वो प्राकृतिक रूप से बंद रहते हैं और उनमें कफ भरी होती है। इसलिए, स्नान के बाद बच्चे के जन्म लेते ही मुंह से कफ को निकाल कर मुख साफ करना बहुत आवश्यक होता है। इसलिए, बच्चे के मुंह में उंगली डालकर उसे उल्टी कराई जाती है। इससे सारा कफ बाहर निकल जाता है। वहीं, जातकर्म संस्कार के दौरान शिशु के कान में मुख्य तौर पर गायत्री मंत्र का जाप किया जाता है। इसके संस्कार में सोने की सलाई से विषम मात्रा में घी और मधु घिस करके बच्चे की जीभ पर लगाया जाता है। उस समय जो मन्त्र बोला जाता है, उसका अर्थ होता है “यह अन्न ही प्रज्ञा है, यही आयु है, यही अमृत है। तुमको ये सब प्राप्त हों । मित्र वरुण तुम्हें मेधा दें, अश्विनीकुमार तुम्हें मेधा दें । बृहस्पति तुम्हें मेधा दें।” 



क्यों चटवाई जाती है शहद और घी? 


घी और मधु चटाने से बच्चे के वात, कफ व पित्त के दोष दूर होते हैं। यह बालक की आयु और मेधाशक्ति बढ़ाने वाली औषधि बन जाती है। सोना वायुदोष को दूर करता है, मूत्र को साफ करता है और रक्त के विकार भी दूर करता है। मधु लार का संचार करता है। फिर माँ द्वारा पहली बार स्तनपान कराया जाता है। बता दें कि जातकर्म संस्कार को करने की विधि परंपराओं और मान्यताओं के अनुसार भिन्न हो सकती है।



क्या है जातकर्म संस्कार की मान्यता? 


जातकर्म संस्कार के दौरान किए गए कर्मों के पीछे कई धार्मिक और वैज्ञानिक कारण छिपे हुए हैं, जो इस प्रकार हैं। 


  1. मां का दूध पीने से शिशु को संपूर्ण पोषण प्राप्त होता है।
  2. वहीं, घी और शहद चटाने से शिशु का पाचन तंत्र मजबूत होता है।
  3. जबकि, उबटन लगाने से शिशु की त्वचा कोमल और रोगमुक्त बनती है। 
  4. जातकर्म संस्कार को करने से शिशु को रक्त व मूत्र संबंधी समस्या नहीं होती है तथा वह स्वस्थ रहता है।
........................................................................................................
Shiv Stuti: Ashutosh Shashank Shekhar ( शिव स्तुति: आशुतोष शशाँक शेखर )

आशुतोष शशाँक शेखर,
चन्द्र मौली चिदंबरा,

बाहुबली से शिव तांडव स्तोत्रम, कौन-है वो (Shiv Tandav Stotram And Kon Hai Woh From Bahubali)

जटा कटा हसं भ्रमभ्रमन्नि लिम्प निर्झरी,
विलोलवी चिवल्लरी विराजमान मूर्धनि।

शिव उठत, शिव चलत, शिव शाम-भोर है। (Shiv Uthat Shiv Chalat Shiv Sham Bhor Hai)

शिव उठत, शिव चलत, शिव शाम-भोर है।
शिव बुद्धि, शिव चित्त, शिव मन विभोर है॥ ॐ ॐ ॐ...

शिव जी की महिमा अपरम्पार है (Shivji Ki Mahima Aprampaar Hai)

शिव जी की महिमा अपरम्पार है,
आया शिवरात्रि का त्यौहार है,

यह भी जाने

संबंधित लेख

HomeAartiAartiTempleTempleKundliKundliPanchangPanchang