सनातन धर्म को समझना इतना आसान भी नहीं है। धर्म, सत्य और विज्ञान के साथ-साथ सामाजिक जीवन के लिए सनातन में बड़ा स्थान है। दुनिया के सबसे रहस्यमई और सत्य आधारित सनातन धर्म की हर कथा और कथा के पात्र का अपना महत्व है और अपना संदेश।
भक्त वत्सल की गणेश चतुर्थी स्पेशल सीरीज ‘गणेश महिमा’ में आज हम आपको गणेश जी के परिवार की विविधता और उनके संदेशों के बारे में बताने जा रहे हैं।
भगवान गणेश के परिवार में हर सदस्य का लगभग एक-दूसरे से विपरीत स्वभाव है, लेकिन आपसी स्नेह, सम्मान और सामंजस्य से परिवार जुड़ा हुआ है। विपरीत स्वभाव से हमारा मतलब यह है कि भगवान शिवजी के गले में सदैव सर्प लटके रहते हैं। वहीं कार्तिकेय जी का वाहन मयूर है। प्रकृति के नियमानुसार मोर और सांप एक-दूसरे के जन्मजात शत्रु है। ऐसे में हुए न विपरीत ध्रुव एक ही छत के नीचे।
इतना ही नहीं गणपति जी का वाहन चूहा है। जबकि सांप का मुख्य आहार भी चूहा ही होता है। ऐसे में गणेश जी के परिवार में फिर एक बार विपरीत स्वभाव का सामंजस्य देखने को मिलता है। इसी तरह शक्ति स्वरूपा मां पार्वती का वाहन शेर है तो देवाधिदेव महादेव शिवजी नंदी यानी बैल की सवारी करते हैं। यहां भी भिन्नता और शत्रुता चरम पर है।
कहने का अभिप्राय यह है कि स्वभाव अलग-अलग, एक-दूसरे से दुश्मनी, ऊंचे-नीचे स्तर। इसके बाद भी यह सभी कैलाश पर्वत पर एक साथ बड़े प्रेम और आदर के साथ एक-दूसरे के साथी हैं। ऐसे में यह संदेश है कि परिस्थितियां कैसी भी हो आपसी सामंजस्य और प्रेम से उन्हें जीता जा सकता है।
विपरीत स्वभाव, विसंगतियां और असहमतियां हर कहीं हैं। लेकिन इसके बावजूद समझदारी, समझौते और प्रेम से सब सुगम हो सकता है। इसमें परिवार के मुखिया का सबसे बड़ा किरदार है। जैसे भगवान शिव का। उन्होंने जमाने भर का सारा विष पीकर भी कभी कोई शिकायत नहीं की। संसार सहित उन्होंने अपने परिवार में जहर पीकर भी संतुलन बनाए रखा। इस तरह उन्होंने मानव मात्र को जीवन में सकारात्मकता रहते हुए जिन्दगी के कड़वे अनुभव से सीख लेकर आगे बढ़ते हुए समाज और परिवार में सामंजस्य स्थापित करने का संदेश दिया है।
महाशिवरात्रि हिंदू धर्म का एक महत्वपूर्ण त्योहार है, जो भगवान शिव की पूजा और आराधना के लिए मनाया जाता है। यह त्योहार हर साल फाल्गुन मास की कृष्ण पक्ष की चतुर्दशी तिथि को मनाया जाता है।
महाशिवरात्रि के पावन अवसर पर हम भगवान शिव की महिमा और उनकी प्रिय चीजों के बारे में बात करने जा रहे हैं। भगवान शिव को आशुतोष कहा जाता है, जिसका अर्थ है तुरंत और तत्काल प्रसन्न होने वाले देवता।
सनातन धर्म में मंत्र और स्तोत्र का विशेष महत्व माना जाता है। धर्म शास्त्रों में मंत्र जाप और स्तोत्र के नियमित पाठ के द्वारा भगवान को प्रसन्न करने का विधान है।
फाल्गुन कृष्ण त्रयोदशी तिथि यानी 26 फरवरी को महाशिवरात्रि का पर्व मनाया जाएगा। मान्यता है कि महाशिवरात्रि के दिन शिवलिंग पूजा के दौरान अगर भगवान शिव के महामंत्रों का जाप किया जाए, तो इससे मृत्यु का भय दूर हो जाता है I