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आखिर गणेश जी को क्यों चढ़ाते हैं दूर्वा, जानें इससे जुड़ी पौराणिक कथा

आखिर गणेश जी को क्यों चढ़ाते हैं दूर्वा, जानें इससे जुड़ी पौराणिक कथा

सनातन धर्म में देवताओं में सर्वप्रथम भगवान गणेश की पूजा करने का विधान है। हर मंगल कार्य का शुभारंभ श्री गणेश पूजन से ही होता है। इसके अलावा हर बुधवार के दिन हम सनातनी भगवान गणेश की पूजा करते हैं जिसका अपना खास महत्व है। गणेश जी सुख, शांति, रिद्धि-सिद्धि और हर मनोकामना पूर्ण करने वाले देवता हैं। भगवान गणेश की पूजा में वैसे तो सभी पूजन सामग्री होती है, लेकिन भगवान गजानन महाराज को दूर्वा बहुत अधिक प्रिय है। उनके पूजन में दूर्वा का विशेष महत्व है। यहां तक कि दूर्वा के बिना गणेश पूजन को अधूरा ही माना जाता है।


आइए भक्त वत्सल की गणेश चतुर्थी स्पेशल सीरीज ‘गणेश महिमा’ में आज हम आपको बताएंगे कि आखिर गणेश जी को दूर्वा इतनी प्रिय क्यों है और उनके पूजन में दूर्वा क्यों इतनी आवश्यक है…


पौराणिक कथाओं के अनुसार, अनलासूर नाम का एक दैत्य अपनी शक्तियों के घमंड में चूर होकर मुनि-ऋषियों और आम जन पर अत्याचार कर रहा था। उसकी शक्ति से देवता तक भयभीत थे। वो इतना निर्दयी, अत्याचारी और शक्तिशाली था कि साधारण मनुष्य को जिंदा ही निगल जाता था। सारा संसार उसके भय से भयभीत हो गया था। उससे मुक्ति का उपाय खोजते-खोजते सभी भगवान शिव जी की शरण में पहुंचे। सभी ने हाथ जोड़कर भगवान से दैत्य को खत्म करने की विनती की। तब भगवान शिव ने गणेश जी को दैत्य अनलासुर का नाश कर संसार की रक्षा करने की आज्ञा दी। 


भगवान शंकर की आज्ञा से भगवान गणेश दैत्य से युद्ध करने पहुंचे और संसार को निगलने वाले उस भयानक दैत्य को ही निगल गए। लेकिन ऐसा करने से गणेश जी के पेट में भयंकर जलन होने लगी। इस जलन को शांत करने के लिए कश्यप ऋषि ने उन्हें 21 दूर्वा घास खाने को दी। दूर्वा की शीतलता के प्रभाव से गणेश जी की जलन शांत हो गई। तभी से यह माना जाता है कि गणेश जी को दूर्वा को चढ़ाने से वे प्रसन्न हो जाते हैं। 


भगवान गणेश को दूर्वा चढ़ाने के नियम 


  • गणेश जी के लिए 21 दूर्वा को एक साथ जोड़कर 11 जोड़े तैयार किए जाते हैं।
  • इन 11 जोड़ों को गणेश जी के चरणों में चढ़ाया जाता है।
  • यह दूर्वा मंदिर के बगीचे जैसी किसी साफ जगह पर उगी हुई होना चाहिए।
  • दूर्वा चढ़ाने से पहले इसे साफ पानी धो लेना चाहिए।
  • दूर्वा चढ़ाते समय गणेश जी के इन 11 मंत्रों का जाप लाभदायक है।


ऊँ गं गणपतेय नमः, ऊँ गणाधिपाय नमः, ऊँ उमापुत्राय नमः, ऊँ विघ्ननाशनाय नमः, ऊँ विनायकाय नमः, ऊँ ईशपुत्राय नमः, ऊँ सर्वसिद्धिप्रदाय नमः, ऊँएकदन्ताय नमः, ऊँ इभवक्ताय नमः, ऊँ मूषकवाहनाय नमः, ऊँ कुमारगुरवे नमः


दूर्वा के उपाय


उपाय 1. गणेश चतुर्थी के दिन मूर्ति स्थापना के बाद 21 दूर्वा जड़ सहित लेकर भगवान की मूर्ति के नीचे रखें। फिर ऊँ श्री गणेषाय नमः मंत्र की एक माला का जाप करें। दस दिन तक रोजाना जाप करें। दसवें दिन मूर्ति विजर्सन के बाद एक लाल वस्त्र में दूर्वा लपेट कर तिजोरी में रख दें। इससे सभी मनोकामनाएं पूर्ण होगी और घर में धन की कमी नहीं होती है।


उपाय 2.  साल में कभी भी बुधवार या किसी भी शुभ मुहूर्त में 5 दूर्वा में 11 गांठे लगाकर भगवान गणेश और मां लक्ष्मी को चढ़ाएं। दूर्वा चढ़ाते समय ‘श्री गणेशाय नमः दूर्वांकुरण समर्पयामि’ मंत्र का जाप करें। इसके बाद ऋणहर्ता गणेश स्तोत्र का पाठ करें। ऐसा करने से आपको जल्द ही धन-लाभ होना संभव है।


उपाय 3. घर में पूर्व दिशा की ओर एक मिट्टी के गमले में दूर्वा लगाएं। इस दूर्वा पर प्रतिदिन भगवान गणेश जी का ध्यान करते हुए पानी चढ़ाएं। जल्द ही घर में समृद्धि आने की संभावना बढ़ जाएगी।


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