कामदा एकादशी अप्रैल 2025

Kamada Ekadashi 2025: कब मनाई जाएगी कामदा एकादशी, जानिए व्रत की तिथि, पारण समय और पूजा विधि

एकादशी व्रत का हिंदू धर्म में विशेष महत्व होता है। हर वर्ष 24 एकादशी आती हैं, जिनमें से प्रत्येक का अलग धार्मिक और आध्यात्मिक महत्व होता है। चैत्र शुक्ल पक्ष में पड़ने वाली एकादशी को कामदा एकादशी कहा जाता है। यह व्रत मोक्ष प्राप्ति और सभी प्रकार के पापों से मुक्ति दिलाने वाला माना जाता है। शास्त्रों के अनुसार, इस दिन जो व्यक्ति भगवान विष्णु की आराधना करता है, वह भूत-प्रेत बाधा, बुरी आत्माओं और जीवन की कठिनाइयों से मुक्ति प्राप्त करता है। इस लेख में हम आपको बताएंगे कि 2025 में कामदा एकादशी कब पड़ेगी, इसका शुभ मुहूर्त क्या है और इसे करने की विधि क्या होगी।

कामदा एकादशी 2025 की तिथि और पारण समय

इस वर्ष कामदा एकादशी व्रत 8 अप्रैल 2025 को रखा जाएगा। हिंदू पंचांग के अनुसार, चैत्र माह के शुक्ल पक्ष की एकादशी तिथि 7 अप्रैल 2025 को शाम 4:30 बजे प्रारंभ होगी और 8 अप्रैल 2025 को शाम 5:42 बजे समाप्त होगी। व्रत रखने की तिथि 8 अप्रैल मंगलवार होगी, और व्रत का पारण 9 अप्रैल को किया जाएगा।
  • एकादशी व्रत तिथि: 8 अप्रैल 2025 (मंगलवार)
  • एकादशी तिथि प्रारंभ: 7 अप्रैल 2025 को शाम 4:30 बजे
  • एकादशी तिथि समाप्त: 8 अप्रैल 2025 को शाम 5:42 बजे 
  • पारण का समय: 9 अप्रैल 2025 को सुबह 7:12 बजे से 9:52 बजे तक

कामदा एकादशी का महत्व

कामदा एकादशी का व्रत बेहद फलदायी माना जाता है। यह व्रत न केवल व्यक्ति को पुण्य प्रदान करता है, बल्कि उसके जीवन की सभी परेशानियों को भी समाप्त करता है। इस एकादशी को करने से व्यक्ति को पिशाच योनि, भूत-प्रेत बाधा और बुरी शक्तियों से मुक्ति मिलती है। हिंदू धर्मग्रंथों के अनुसार, जो भक्त इस दिन व्रत रखकर भगवान विष्णु की आराधना करता है, उसे सभी प्रकार की सिद्धियों की प्राप्ति होती है।

शास्त्रों में वर्णित कथा के अनुसार, प्राचीन काल में नागराज कुंडिनपुर में एक गंधर्व था, जिसका नाम ललित था। उसकी पत्नी ललिता थी। एक बार गंधर्व सभा में ललित का ध्यान अपनी पत्नी में लगा रहा, जिससे वह गाने में गलती कर बैठा। राजा ने उसे श्राप देकर पिशाच बना दिया। जब उसकी पत्नी ने भगवान विष्णु से इस कष्ट से मुक्ति दिलाने की प्रार्थना की, तो उन्हें कामदा एकादशी व्रत रखने की सलाह दी गई। जब ललिता ने इस व्रत को विधि-विधान से किया, तो ललित को पिशाच योनी से मुक्ति मिल गई।

कामदा एकादशी की पूजा विधि

कामदा एकादशी के दिन प्रातः काल जल्दी उठकर स्नान करें और स्वच्छ वस्त्र धारण करें। इसके बाद भगवान विष्णु का ध्यान करें और व्रत का संकल्प लें। इस दिन पीले रंग का विशेष महत्व होता है, इसलिए पूजा में पीले वस्त्र, पीले फूल, चने की दाल, पीले फल आदि का उपयोग करना शुभ माना जाता है।

पूजा विधि इस प्रकार है:

  1. प्रातः जल्दी उठकर गंगा स्नान या घर में ही जल में गंगाजल मिलाकर स्नान करें।
  2. स्वच्छ पीले वस्त्र धारण करें और व्रत का संकल्प लें।
  3. भगवान विष्णु की मूर्ति या चित्र के सामने दीपक जलाएं।
  4. विष्णु सहस्रनाम का पाठ करें और तुलसी पत्र अर्पित करें।
  5. भगवान विष्णु को पीले फूल, फल और पंचामृत अर्पित करें।
  6. एकादशी व्रत कथा का पाठ करें।
  7. रात्रि में भजन-कीर्तन करें और जागरण करें।
  8. द्वादशी तिथि पर ब्राह्मणों और जरूरतमंदों को भोजन कराएं और उन्हें दक्षिणा दें।
  9. इसके बाद व्रत का पारण करें और स्वयं भोजन ग्रहण करें।

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वृश्चिक संक्रांति का मुहूर्त

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स्कन्द षष्ठी व्रत नियम

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