मौनी अमावस्या के उपाय

Mauni Amavasya 2025: मौनी अमावस्या को करें ये 5 उपाय, सौभाग्य-संपत्ति में होगी वृद्धि, पितृ भी होंगे प्रसन्न



हिंदू कैलेंडर के अनुसार, माघ का महीना 11वां होता है। इस माह में पड़ने वाले व्रत का विशेष महत्व होता है। इनमें मौनी अमावस्या भी शामिल है। माघ माघ की अमावस्या को मौनी अमावस्या भी कहा जाता है। इस साल यह तिथि और भी खास मानी जा रही है, क्योंकि इस दिन यानी बुधवार, 29 जनवरी 2025 को महाकुंभ में तीसरा अमृत स्नान किया जाएगा। बता दें कि इस साल, मौनी अमावस्या 29 जनवरी, 2025 को मनाई जाएगी। 

ऐसी मान्यता है कि मौनी अमावस्या के दिन भगवान शिव की पूजा-अर्चना और उनका अभिषेक करने से साधक को जीवन की कई समस्याओं से छुटकारा मिल सकता है। साथ ही इस दिन विशेष पूजा-पाठ, अनुष्ठान और उपाय करने से कुल देवता सहित इष्ट देवता और पितर भी प्रसन्न होते हैं। आइए जानते हैं, मौनी अमावस्या के दिन किए जाने वाले 5 विशेष लाभकारी उपायों के बारे में...

मौनी अमावस्या 2025 शुभ मुहूर्त 


हिंदू वैदिक पंचांग के अनुसार, माघ माह में की अमावस्या तिथि की शुरुआत मंगलवार, 28 जनवरी को शाम 7 बजकर 37 मिनट पर होगी. वहीं तिथि का समापन बुधवार 29 जनवरी को होगा. उदयातिथि के आधार पर मौनी अमावस्या या माघी अमावस्या का पर्व 29 जनवरी को मनाया जाएगा। 

मौनी अमावस्या में करें ये उपाय


ऐसी मान्यता है कि मौनी अमावस्या पर किए गए उपायों से 100 सालों दान-पुण्य का फल एक ही दिन में मिल जाता है। आइए जानते हैं, मौनी अमावस्या के दिन किए जाने वाले 5 विशेष लाभकारी उपाय:

  • मौनी अमावस्या के दिन दान-पुण्य का विशेष महत्व होता है। इस पवित्र तिथि पर काले तिल, अनाज, वस्त्र और जरूरतमंदों को आवश्यक चीजों का दान करना अत्यंत शुभ माना जाता है। मान्यता है कि इस दिन दान करने से व्यक्ति पर मां लक्ष्मी की कृपा विशेष रूप से बरसती है और जीवन में सुख-समृद्धि का भी आगमन होता है।
  • मौनी अमावस्या तब पड़ती है, जब सूर्य मकर राशि में होते हैं, इस वजह से यह अद्भुत फलदायी है। धन और सुख-समृद्धि के लिए इस दिन श्रीसूक्त का पाठ करें साथ ही भगवान लक्ष्मी-नारायण की पूजा करें। घर के मंदिर में गुलाब के पुष्प अर्पित करें और घी का दीपक जलाएं।
  • मौनी अमावस्या के दिन घी, तिल, शहद और खीर को गंगा में अर्पित करने का विशेष महत्व होता है। कहा जाता है कि ऐसा करने से पितृ दोष दूर होता है। मान्यता है कि इस पवित्र कार्य से पितर प्रसन्न होते हैं और साधक को उनकी कृपा से मनोवांछित फल की प्राप्ति होती है। 
  • मौनी अमावस्या के दिन पीपल के वृक्ष में जल अर्पित करने का भी विशेष महत्व है। मान्यता है कि इस दिन पीपल के पत्तों पर मिठाई रखकर पितरों को अर्पित करने से पितृ दोष दूर होता है। यह कार्य पितरों की आत्मा को शांति प्रदान करता है और उनकी कृपा से जीवन में सुख-समृद्धि का आगमन होता है।
  • इस दिन भगवान शिव की भी  पूजा का विधान माना गया है। शिवलिंग पर काले तिल, दूध, और शहद चढ़ाकर शिवजी का अभिषेक करें। ॐ नमः शिवाय’ मंत्र का 108 बार जाप करें। ऐसा करने से शीघ्र ही लाभ मिलेगा।

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आदि अंत मेरा है राम (Aadi Ant Mera Hai Ram)

आदि अंत मेरा है राम,
उन बिन और सकल बेकाम ॥

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हम राम जी के, राम जी हमारे हैं (Hum Ram Ji Ke Ram Ji Hamare Hain)

हम राम जी के, राम जी हमारे हैं ।
हम राम जी के, राम जी हमारे हैं ।

गणाधिप संकष्टी चतुर्थी, पूजा विधि

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