मार्गशीर्ष माह के शुक्ल पक्ष की पंचमी तिथि को विवाह पंचमी मनाई जाती है जो भगवान श्रीराम और माता सीता के विवाह की स्मृति में मनाया जाने वाला पवित्र पर्व है। सनातन धर्म में इस पर्व का विशेष महत्व है। धार्मिक मान्यता है कि त्रेता युग में इसी तिथि पर मर्यादा पुरुषोत्तम श्रीराम और माता सीता विवाह बंधन में बंधे थे। विवाह पंचमी के दिन राम-सीता की पूजा-अर्चना, रामचरितमानस पाठ और दान-पुण्य का विधान है। इस पर्व को मनाने से ना केवल वैवाहिक जीवन में सुख-शांति आती है बल्कि व्यक्ति को आध्यात्मिक बल और पुण्य भी प्राप्त होता है।
विवाह पंचमी सनातन धर्म का एक प्रमुख पर्व है जो भगवान श्रीराम और माता सीता के पवित्र विवाह की स्मृति में मनाया जाता है। धार्मिक ग्रंथों के अनुसार, त्रेता युग में मार्गशीर्ष माह के शुक्ल पक्ष की पंचमी तिथि को मिथिला नगरी में भगवान श्रीराम और माता सीता का विवाह संपन्न हुआ था। यही कारण है कि इस तिथि को हर वर्ष विवाह पंचमी के रूप में मनाया जाता है।
भगवान श्रीराम और माता सीता की जोड़ी हिंदू धर्म में आदर्श वैवाहिक जीवन का प्रतीक मानी जाती है। ऐसा कहा जाता है कि उनके जीवन से हमें परिवार, प्रेम, त्याग और मर्यादा का संदेश मिलता है। विवाह पंचमी पर इनकी पूजा-अर्चना कर लोग उनके गुणों को अपने जीवन में अपनाने का प्रयास करते हैं।
विवाह पंचमी केवल एक धार्मिक पर्व नहीं है, बल्कि यह भगवान श्रीराम और माता सीता के जीवन से जुड़े आदर्शों को अपनाने का अवसर भी है। यह पर्व हमें यह सिखाता है कि प्रेम, त्याग, और मर्यादा से परिपूर्ण दांपत्य जीवन न केवल व्यक्ति के जीवन को सुखी बनाता है, बल्कि समाज को भी सकारात्मक दिशा में प्रेरित करता है। ये पूजा और दान व्यक्ति को आध्यात्मिक शांति प्रदान करती है और उनके जीवन में सुख, शांति और समृद्धि लाती है। विवाह पंचमी हिंदू धर्म में एक महत्वपूर्ण स्थान रखता है। यह पर्व भगवान श्रीराम और माता सीता के पवित्र विवाह के स्मरण के साथ-साथ उनके गुणों को अपने जीवन में आत्मसात करने का दिन होता है।
आज 6 जून 2025 को ज्येष्ठ माह का 26वां दिन है। साथ ही आज पंचांग के अनुसार, ज्येष्ठ माह के शुक्ल पक्ष तिथि एकादशी है, इसे निर्जला एकादशी के रूप में मनाया जाता है।
आज 7 जून 2025 को ज्येष्ठ माह का 27वां दिन है। साथ ही आज पंचांग के अनुसार, ज्येष्ठ माह के शुक्ल पक्ष तिथि द्वादशी है।
गंगा दशहरा का पर्व हिन्दू धर्म में विशेष महत्व रखता है। यह पर्व गंगा नदी के पृथ्वी पर अवतरण की प्रतीक में मनाया जाता है। इस दिन गंगा स्नान, दान और पूजा का विशेष महत्व होता है।
गंगा दशहरा हिन्दू पंचांग के अनुसार, ज्येष्ठ मास के शुक्ल पक्ष की दशमी तिथि को मनाया जाता है। यह पर्व मां गंगा के धरती पर अवतरण की स्मृति में मनाया जाता है।