विवाह पंचमी का पर्व बेहद महत्वपूर्ण माना जाता है। इस दिन माता सीता और प्रभु श्री राम का विवाह हुआ था। विवाह पंचमी का पर्व सभी तिथियों में शुभ माना गया है। इस तिथि आदर्श दांपत्य जीवन का उदाहरण हैं। ऐसी मान्यता है कि अगर किसी व्यक्ति के विवाह में कोई परेशानी आ रही है, तो इस दिन विधिवत रूप से राम जी और जानकी माता की पूजा की जाती है। आपको बता दें, इस साल विवाह पंचमी का पर्व 06 दिसंबर को मनाया जाएगा। अब ऐसे में अगर किसी जातक के विवाह में देरी हो रही है या मनचाहा जीवनसाथी पाना चाहते हैं, तो इस दिन कुछ चीजों को दान करने के बारे में बताया गया है। आइए इस लेख में ज्योतिषाचार्य त्रिपाठी जी से विस्तार से जानते हैं।
अगर किसी भी व्यक्ति के विवाह में बार-बार कोई न कोई बाधाएं आ रही हैं या फिर रिश्ता पक्का होने के बाद भी टूट जा रहा है तो विवाह पंचमी के दिन मंदिर में हल्दी की गांठ का दान करने से उत्तम परिणाम मिल सकते हैं। बता दें, हल्दी का संबंध गुरु बृहस्पति से है और इसका दान करने से मनोवांछित फलों की भी प्राप्ति होती है।
अगर किसी दंपत्ति के वैवाहिक जीवन में किसी भी प्रकार की कोई परेशानी आ रही है, तो विवाह पंचमी के दिन कुंवारी कन्या को सोलह श्रृंगार का दान करें। ऐसी मान्यता है कि सोलह श्रृंगार का दान करने से वैवाहिक जीवन में खुशियों का आगमन होता है और श्री राम-जानकी की कृपा हमेशा पति-पत्नी पर बनी रहती है।
विवाह पंचमी के दिन कौड़ियों का दान करना शुभ माना गया है। कौड़ियों को माता लक्ष्मी का प्रतीक माना गया है और माता लक्ष्मी स्वरूप मां सीता का ध्यान करते हुए कौड़ियों का दान करने से अविवाहितों के शीघ्र विवाह के योग बनते हैं और वैवाहिक जीवन में सुख-समृद्धि और सौभाग्य का आगमन होता है। इतना ही नहीं, कौड़ियों का दान करने से आर्थिक तंगी से भी छुटकारा मिल सकता है।
यदि किसी कन्या के विवाह में बार-बार विघ्न आ रहे हैं, तो विवाह पंचमी के शुभ दिन पर उसके द्वारा एक छोटी सी पालकी का दान करने से विवाह में आ रही बाधाएं दूर हो सकती हैं और विवाह के योग बन सकते हैं। यह पालकी किसी भी धातु की हो सकती है और खिलौने के रूप में होनी चाहिए।
चावल का दान करने से घर में सुख-समृद्धि और धन की प्राप्ति होती है। इसलिए विवाह पंचमी के दिन चावल का दान करने से व्यक्ति को धन संबंधित समस्याओं से छुटकारा मिल जाता है और व्यक्ति की मनोकामनाएं पूरी हो सकती है। अगर आप चावल का दान कर रहे हैं, तो बात का विशेष ध्यान रखें कि सिर्फ 5 मुट्ठी चावल का ही दान करें और इस दौरान प्रभु श्रीराम के मंत्रों का जाप अवश्य करें।
कुंभ मेला हिंदू धर्म का सबसे बड़ा धार्मिक और सांस्कृतिक समागम है। इसमें लाखों श्रद्धालु आस्था की डुबकी लगाते हैं। मेले का मुख्य आकर्षण साधु संतों के अखाड़े होते है। जिनकी दिव्यता को देखने के लिए बड़ी संख्या में श्रद्धालु आते हैं।
प्रयागराज में कुंभ मेले की शुरुआत 13 जनवरी से हो रही है। अखाड़ों का आना भी शुरू हो गया है। महर्षि आदि शंकराचार्य ने 8वीं शताब्दी में इनकी स्थापना की थी। यह कुंभ मेले की शान होते है।
शैव संप्रदाय के 7 प्रमुख अखाड़े हैं। इनमें से ही एक अखाड़ा है 'आनंद अखाड़ा'। इसका पूरा नाम 'श्री तपोनिधि आनंद अखाड़ा पंचायती’ है।
महाकुंभ की शुरुआत में अब 1 महीने का समय बचा है। लगभग सभी अखाड़े प्रयागराज भी पहुंच चुके हैं। लेकिन इन दिनों शैव संप्रदाय का एक अखाड़ा चर्चा में बना हुआ है।