मैं तो संग जाऊं बनवास, स्वामी (Main Too Sang Jaun Banwas)

मैं तो संग जाऊं बनवास

मैं तो संग जाऊं बनवास

मैं तो संग जाऊं बनवास

स्वामी ना करना निराश

पग पग संग जाऊं जाऊं बनवास

हे मैं तो संग जाऊं बनवास


उपर है अग्नि की छतरी नीचे तपती बाली

उपर है अग्नि की छतरी नीचे तपती बाली

पाँव में पड़ेंगें छाले ना जाओ बनवास

हे मैं तो संग जाऊं बनवास

मैं तो संग जाऊं बनवास


तुम हो सूर्यवंशी स्वामी रखो अपनी छाया

तुम हो सूर्यवंशी स्वामी रखो अपनी छाया

छाव में चलूँ तुम्हारी तुम ही मेरी माया

मैं तो संग जाऊं बनवास

मैं तो संग जाऊं बनवास


जंगल बन मे घूमे हाथी भालू शेर और हिरना

जंगल बन मे घूमे हाथी भालू शेर और हिरना

नारी हो तुम डर जाओगी

ना जाओ बनवास

हे मैं तो संग जाऊं बनवास

मैं तो संग जाऊं बनवास


तुम तो योद्धावीर हो स्वामी तुम ही रक्षा करना

तुम तो योद्धावीर हो स्वामी तुम ही रक्षा करना

बाण तुम्हारे काँधे सोहे संग हो तो क्या डरना

मैं तो संग जाऊं बनवास

स्वामी ना करना निराश

पग पग संग जाऊं जाऊं बनवास

हे मैं तो संग जाऊं बनवास

मैं तो संग जाऊं बनवास

मैं तो संग जाऊं बनवास

........................................................................................................
श्री शिव भगवान जी की आरती

ॐ जय शिव ओंकारा, स्वामी जय शिव ओंकारा।
ब्रह्मा, विष्णु, सदाशिव, अर्द्धांगी धारा ॥

रूक्मिणी-श्रीकृष्ण के विवाह से जुड़ी कथा

पौष मास के कृष्ण पक्ष की अष्टमी तिथि को रुक्मिणी अष्टमी के पर्व के रूप में मनाया जाता है, जो इस साल 22 दिसंबर को पड़ रही है। यह पर्व भगवान श्रीकृष्ण की पहली पत्नी देवी रुक्मिणी के जन्म की याद में मनाया जाता है।

प्रदोष व्रत पर इन चीजों का करें दान

विवाह एक पवित्र और 16 महत्वपूर्ण संस्कारों में से एक है, जो दो आत्माओं को जोड़ता है। लेकिन कई बार वैवाहिक जीवन में समस्याएं और बाधाएं आ जाती हैं, जो जीवन को कठिन बना देती हैं। ऐसे में प्रदोष व्रत एक शक्तिशाली तरीका है, जो विवाह की बाधाओं को दूर करने में मदद कर सकता है।

श्री धन्वन्तरि जी की आरती (Shri Dhanvantari Ji Ki Aarti)

जय धन्वन्तरि देवा, जय धन्वन्तरि जी देवा।
जरा-रोग से पीड़ित, जन-जन सुख देवा॥

डिसक्लेमर

'इस लेख में दी गई जानकारी/सामग्री/गणना की प्रामाणिकता या विश्वसनीयता की गारंटी नहीं है। सूचना के विभिन्न माध्यमों/ज्योतिषियों/पंचांग/प्रवचनों/धार्मिक मान्यताओं/धर्मग्रंथों से संकलित करके यह सूचना आप तक प्रेषित की गई हैं। हमारा उद्देश्य सिर्फ सूचना पहुंचाना है, पाठक या उपयोगकर्ता इसे सिर्फ सूचना समझकर ही लें। इसके अतिरिक्त इसके किसी भी तरह से उपयोग की जिम्मेदारी स्वयं उपयोगकर्ता या पाठक की ही होगी।

यह भी जाने