पार्वती तेरा भोला,
जगत में सबसे निराला है ।
पार्वती तेरा भोला,
जगत में सबसे निराला है ।
जो मै होती गंगा जैसी,
जो मै होती गंगा जैसी,
जटा में जाय समाती ।
पती तो तेरा सबसे निराला है ।
पार्वती तेरा भोला,
जगत में सबसे निराला है ।
पार्वती तेरा भोला,
जगत में सबसे निराला है ।
जो मै होती चंदा जैसी,
जो मै होती चंदा जैसी,
माथे पे जाय समाती ।
पति तो तेरा सबसे निराला है ।
पार्वती तेरा भोला,
जगत में सबसे निराला है ।
पार्वती तेरा भोला,
जगत में सबसे निराला है ।
जो मै होती नागों जैसी,
जो मै होती नागों जैसी,
गले में जाय समाती ।
पति तो तेरा सबसे निराला है ।
पार्वती तेरा भोला,
जगत में सबसे निराला है ।
पार्वती तेरा भोला,
जगत में सबसे निराला है ।
जो मै होती डमरू जैसी,
जो मै होती डमरू जैसी,
हाथों में जाय समाती।
पति तो तेरा सबसे निराला है।
पार्वती तेरा भोला,
जगत में सबसे निराला है ।
पार्वती तेरा भोला,
जगत में सबसे निराला है ।
जो मै होती गौरा जैसी,
जो मै होती गौरा जैसी,
बगल में जाय समाती।
पति तो तेरा सबसे निराला है।
पार्वती तेरा भोला,
जगत में सबसे निराला है ।
पार्वती तेरा भोला,
जगत में सबसे निराला है ।
जो मै होती गणपति जैसी,
जो मै होती गणपति जैसी,
गोदी में जाय समाती ।
पति तो तेरा सबसे निराला है ।
पार्वती तेरा भोला,
जगत में सबसे निराला है ।
पार्वती तेरा भोला,
जगत में सबसे निराला है ।
जो मै होती नंदी जैसी,
जो मै होती नंदी जैसी,
चरणों में जाय समाती ।
पति तो तेरा सबसे निराला है ।
पार्वती तेरा भोला,
जगत में सबसे निराला है ।
पार्वती तेरा भोला,
जगत में सबसे निराला है ।
जय जय जल देवता,जय ज्योति स्वरूप ।
अमर उडेरो लाल जय,झुलेलाल अनूप ॥
शीश नवा अरिहंत को, सिद्धन को, करुं प्रणाम |
उपाध्याय आचार्य का ले सुखकारी नाम ||
श्री गुरु गणनायक सिमर, शारदा का आधार।
कहूँ सुयश श्रीनाथ का, निज मति के अनुसार।
बन्दौ चरण सरोज निज जनक लली सुख धाम,
राम प्रिय किरपा करें सुमिरौं आठों धाम ॥