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अश्लेषा नक्षत्र: अश्लेषा नक्षत्र में जन्मे जातक विष तत्व से प्रभावित होते हैं

अगर आप का भी हुआ अश्लेषा नक्षत्र में जन्म तो याद रखें ये बात, विष तत्व की अधिकता वाले होते हैं इस नक्षत्र के जातक


अश्लेषा नक्षत्र का ज्योतिष शास्त्र में विशेष स्थान है, और इसे अत्यधिक रहस्यमयी और तीव्र प्रवृत्तियों के लिए जाना जाता है। इसका संबंध कर्क राशि से है, और यह नक्षत्र 'विष' तत्व का प्रतीक माना जाता है। इसका प्रभाव बेहद गूढ़ और गहन होता है, जिससे इसके जातक जीवन के विभिन्न पहलुओं में गहरी और जटिल प्रवृत्तियों के लिए पहचाने जाते हैं। 


विष का प्रभाव और शत्रु नाशक प्रवृत्ति 


अश्लेषा नक्षत्र को विषधारी नक्षत्र कहा जाता है क्योंकि इसका सीधा संबंध नाग देवता से होता है। इसमें स्थित ग्रहों की प्रकृति विषधारी मानी जाती है, यानी जिस भी ग्रह का इस नक्षत्र से संबंध होता है, वह विषैला स्वभाव रखता है। उदाहरण स्वरूप, यदि चतुर्थ भाव का स्वामी ग्रह अश्लेषा नक्षत्र में स्थित हो, तो यह व्यक्ति की मानसिक शांति को नष्ट कर सकता है। यह नक्षत्र उन जातकों में शत्रुओं को नष्ट करने की प्रबल क्षमता पैदा करता है। जीवन में विषम परिस्थितियों से जूझते हुए भी ये लोग अपना आत्मसंयम नहीं खोते, बल्कि विषम परिस्थितियों में शत्रुओं को मात देने में सक्षम होते हैं।


परिवर्तनशीलता और सांप का प्रतीक


अश्लेषा नक्षत्र का सांप से गहरा संबंध है, और सांप की विशेषताओं को इसके जातकों में देखा जा सकता है। जिस प्रकार सांप अपनी त्वचा को त्यागकर नवीन रूप में आता है, उसी प्रकार अश्लेषा जातक भी जीवन में परिवर्तन और रूपांतरण के प्रतीक होते हैं। इस नक्षत्र के जातक कई बार अपने स्वभाव, आदतों और सोच को पूरी तरह से बदल लेते हैं। यह परिवर्तनशीलता उन्हें परिस्थितियों के अनुसार ढलने और नए तरीके से आगे बढ़ने की क्षमता प्रदान करती है।


सांप से इसलिए होती है तुलना


इस संदर्भ में, सांप के आंखें बंद करने की प्रक्रिया से इनकी दृष्टि के धुंधलेपन का भी संबंध बताया जाता है। जब सांप अपनी त्वचा त्यागता है, उसकी आंखें कुछ समय के लिए बंद हो जाती हैं, और इसी प्रकार अश्लेषा नक्षत्र के जातक भी जीवन के कुछ क्षणों में दृष्टि और समझ को खो बैठते हैं। लेकिन इस स्थिति से उबरने के बाद, वे और भी ज्यादा सशक्त होकर उभरते हैं।


मंगल का नीचत्व और आक्रामक प्रवृत्ति 


अश्लेषा नक्षत्र में मंगल ग्रह नीच का होता है, यानी इसकी शक्ति कमजोर हो जाती है। यह स्थिति जातक के जीवन में नकारात्मक उर्जा का संचार करती है। मंगल के नीच होने से व्यक्ति में हिंसा, क्रोध और आक्रामकता की प्रवृत्ति उत्पन्न हो सकती है। यह जातक बिना प्रत्यक्ष चोट पहुंचाए भी दूसरों को नुकसान पहुंचाने की क्षमता रखते हैं। यह नक्षत्र आर्द्रा, ज्येष्ठा, और मूल नक्षत्र की तरह तीक्ष्ण स्वभाव का होता है, और इसकी तीव्रता अक्सर जीवन में अप्रत्याशित और अचानक घटित होने वाली घटनाओं के रूप में सामने आती है।


अधोमुखी नक्षत्र: छिपी गतिविधियों का प्रतीक 


अश्लेषा नक्षत्र एक अधोमुखी नक्षत्र है, जिसका मुख हमेशा नीचे की ओर होता है। यह भूमिगत गतिविधियों, चालाकी, और गुप्त चालों का प्रतीक है। इस नक्षत्र के जातक चालबाज, रहस्यमयी और छुपे हुए उद्देश्यों के साथ काम करने वाले होते हैं। यह नक्षत्र अंडरवर्ल्ड, आपराधिक प्रवृत्तियों और संदेहास्पद गतिविधियों से जुड़ा होता है, और इसमें जन्म लेने वाले जातक अपने आसपास की दुनिया को छुपी हुई दृष्टि से देखते हैं।


नाग देवता और आकस्मिकता का प्रतीक


अश्लेषा नक्षत्र का देवता नाग है, जो इस नक्षत्र के जातकों को एक विशेष आकस्मिकता और अप्रत्याशित घटनाओं का वाहक बनाता है। इन जातकों के जीवन में अचानक दुर्घटनाएं, संघर्ष या अन्य अप्रत्याशित घटनाएं होने की संभावना अधिक होती है। ये जातक जीवन में निरंतर बदलाव और उथल-पुथल का सामना करते हैं, लेकिन नाग की तरह उनके अंदर विषम परिस्थितियों में भी संघर्ष करने की क्षमता होती है।


बुध का प्रभाव: वाणी और मानसिकता


अश्लेषा नक्षत्र का स्वामी बुध है, जो इस नक्षत्र के जातकों को अत्यधिक बुद्धिमान और चालाक बनाता है। बुध के प्रभाव से इनकी वाणी बहुत ही मधुर होती है, और ये अपनी बातों से दूसरों को प्रभावित करने की क्षमता रखते हैं। ये लोग शब्दों के जादूगर होते हैं और दूसरों को अपनी बातों में फंसाने की कला में माहिर होते हैं। इनके अंदर एक सहज बुद्धिमानी होती है, जो उन्हें जीवन में अपने हितों को साधने में मदद करती है। यह वाणी की मधुरता कई बार इनके अहंकार का कारण भी बनती है, और यह अपने स्वाभिमान को बनाए रखने के लिए किसी भी हद तक जा सकते हैं।


चार चरणों का विश्लेषण


अश्लेषा नक्षत्र के चार चरण होते हैं, और प्रत्येक चरण का जातक पर अलग-अलग प्रभाव होता है:


प्रथम चरण: धनु नवांश में आता है और बृहस्पति द्वारा शासित होता है। इस चरण में जन्मे लोग बेहद देखभाल करने वाले और भावुक होते हैं। ये अपने मित्रों और परिवार के लिए हर संभव सहायता करने के लिए तत्पर रहते हैं। इनका स्वभाव उदार और सहानुभूतिपूर्ण होता है।


द्वितीय चरण: मकर नवांश में आता है और शनि द्वारा शासित होता है। इस चरण के जातक अपने स्वार्थ के लिए दूसरों का इस्तेमाल करने में माहिर होते हैं। ये चतुर होते हैं और अपने हितों के लिए किसी भी हद तक जा सकते हैं।


तृतीय चरण: कुंभ नवांश में आता है और शनि द्वारा शासित होता है। इस चरण में जन्मे लोग बेहद रहस्यमयी होते हैं। इनकी सोच और कार्यप्रणाली दूसरों के समझ से परे होती है, और ये अपने असली उद्देश्य को गुप्त रखने में माहिर होते हैं।


चतुर्थ चरण: मीन नवांश में आता है और बृहस्पति द्वारा शासित होता है। इस चरण के जातक अत्यधिक जिम्मेदार होते हैं। ये अपने कार्यों की जिम्मेदारी खुद लेते हैं, चाहे वह सही हो या गलत। इनकी सोच में आध्यात्मिकता और धार्मिकता का भी समावेश होता है।


बता दें कि अश्लेषा नक्षत्र के जातक अत्यधिक रहस्यमयी, चालाक, और विषधारी प्रवृत्तियों के होते हैं। इनकी मानसिकता, वाणी, और कार्यशैली अन्य नक्षत्रों के जातकों से काफी भिन्न प्रतीत होती है। जीवन में ये बदलाव और रूपांतरण के प्रतीक होते हैं, और विषम परिस्थितियों में भी धैर्य और संघर्ष की भावना से निरंतर आगे बढ़ते रहते हैं।


कौन होते हैं अश्लेषा नक्षत्र के जातक? 


अश्लेषा नक्षत्र, जिसे अयिलयम नक्षत्र के नाम से भी जाना जाता है, वह नक्षत्र है जिसमें व्यक्ति का जन्म तब होता है जब चंद्रमा कर्क राशि के 16.40 से 30.00 डिग्री के बीच स्थित होता है।  


अश्लेषा नक्षत्र 2024 की तिथियां:


1. शुक्रवार, 26 जनवरी 2024 (समय शुरू: 10:32 सुबह - अंत समय: 12:57 दोपहर, 27 जनवरी  )


2. गुरुवार, 22 फरवरी 2024 (समय शुरू: 04:46 सुबह -  अंत समय: 07:21 शाम, 22 फरवरी)


3. बुधवार, 20 मार्च 2024 (समय शुरू: 10:40 रात - अंत समय: 01:25 रात, 22 मार्च)


4. बुधवार, 17 अप्रैल 2024 (समय शुरू: 05:19 सुबह - अंत समय: 07:55 सुबह, 18 अप्रैल)


5. मंगलवार, 14 मई 2024 (समय शुरू: 01:07 रात - अंत समय: 03:22 शाम, 15 मई)


6. सोमवार, 10 जून 2024 (समय शुरू: 09:38 रात - अंत समय: 11:35 रात, 11 जून)


7. सोमवार, 8 जुलाई 2024 (समय शुरू: 06:05 सुबह  - अंत समय: 07:49 सुबह, 9 जुलाई)


8. रविवार, 4 अगस्त 2024 (समय शुरू: 01:29 दोपहर - अंत समय: 03:20 शाम, 5 अगस्त)


9. शनिवार, 31 अगस्त 2024 (समय शुरू: 07:41 शाम - अंत समय: 09:47 रात, 1 सितंबर)


10. शनिवार, 28 सितंबर 2024 (समय शुरू: 01:22 रात - अंत समय: 03:35 सुबह, 29 सितंबर)


11. शुक्रवार, 25 अक्टूबर 2024 (समय शुरू: 07:42 सुबह - अंत समय: 09:44 सुबह, 26 अक्टूबर)


12. गुरुवार, 21 नवंबर 2024 (समय शुरू: 03:37 शाम - अंत समय: 05:08 शाम, 22 नवंबर)


13. गुरुवार, 19 दिसंबर 2024 (समय शुरू: 10:58 रात - अंत समय: 02:00 रात, 20 दिसंबर)


इन तिथियों के आधार पर, आप अश्लेषा नक्षत्र के प्रभाव का आकलन कर सकते हैं और अपने निर्णय या कार्यों की योजना बना सकते हैं।


डिसक्लेमर

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