Kanya Sankranti 2025: हिंदू पंचांग में कन्या संक्रांति को शुभ दिनों में से एक माना जाता है। इस समय सूर्य देव सिंह राशि को छोड़कर कन्या राशि में प्रवेश करते हैं, जो एक शुभ समय का प्रतीक है। कन्या संक्रांति को स्नान-दान, पितृ तर्पण, सूर्य देव पूजन और यहां तक विश्वकर्मा पूजा भी इस तिथि में की जाती है। यह दिन नए फसल और नए ऋतु की शुरुआत का भी प्रतीक माना जाता है।
इस वर्ष कन्या संक्रांति 17 सितंबर, बुधवार को मनाई जाएगी। पंचांग के अनुसार, सूर्य 17 सितंबर को कन्या राशि में रात 01:54 बजे प्रवेश करेगी और पुण्य काल 05:36 से 11:44 तक रहेगा। यह स्नान-दान और पितृ तर्पण के लिए जाना जाता है। महापुण्य काल सुबह 05:36 से शुरू होकर 07:39 तक रहेगा, ये समय स्नान-दान के लिए फलदायी माना जाता है।
हिंदू धर्म में 12 संक्रांतियां मनाई जाती हैं और कन्या संक्रांति उनमें से एक है। धार्मिक और सामाजिक रूप से इस दिन को नई ऊर्जा, नई फसल के मौसम और जीवन में नई दिशा देने वाला दिन माना जाता है। कन्या संक्रांति पितृपक्ष में आती है, इसलिए इसे पितृ तर्पण और श्राद्ध के लिए शुभ माना जाता है। ज्योतिष के अनुसार, सूर्य का कन्या राशि में गोचर व्यक्ति के जीवन में परिश्रम, जिम्मेदारी और स्थिरता के महत्व को बढ़ाता है।