महाशिवरात्रि हिंदू धर्म के सबसे प्रमुख त्योहारों मे एक है। यह पर्व भगवान शिव की आराधना को समर्पित होता है और फाल्गुन मास की कृष्ण पक्ष की चतुर्दशी तिथि को मनाया जाता है। भक्त इस दिन भगवान शिव की कृपा पाने के लिए शिवलिंग का अभिषेक करते है, उनकी पूजा करते हैं। कई जगहों पर रात्रि जागरण किया जाता है। लोग भजन करते हैं। यह दिन इसलिए भी खास है क्योंकि हिंदू पौराणिक मान्यताओं के मुताबिक शिवरात्रि के दिन ही भगवान शिव और माता पार्वती का विवाह हुआ था।
इस बार शिवरात्रि का त्योहार 26 फरवरी को मनाया जाएगा। अगर आप भी भगवान शिव की कृपा पाना चाहते है, लेकिन आपको पूजा विधि नहीं पता है। ऐसे में आपका काम हम आसान करते है और आपको शिवरात्रि पूजा विधि और त्योहार से जुड़ी कई चीजों के बारे में विस्तार से बताते हैं।
सुबह स्नान करने के बाद भक्तजन शिवलिंग पर गंगाजल, दूध, दही, शहद, बेलपत्र और धतूरा चढ़ाकर अभिषेक करें ।
महाशिवरात्रि की रात को भक्त शिव भजन गाते हैं, शिव पुराण का पाठ करते हैं और पूरी रात जागकर शिव की आराधना करते हैं। आप भी जागरण करते हुए भजन गाएं।
भक्त भगवान शिव को प्रसन्न करने के लिए इस दिन उपवास रखते हैं और केवल फलाहार या पानी ग्रहण करते हैं। कुछ लोग निर्जला व्रत भी रखते हैं।
दान सबसे बड़ा पुण्य माना जाता है। इस दिन जरूरतमंदों को अन्न, वस्त्र और धन करें। इससे शिवजी आपकी सारी इच्छाएं पूरी करेंगे।
भगवान शिव के "ॐ नमः शिवाय" और "महामृत्युंजय मंत्र" का जाप करने से जीवन में शांति और समृद्धि आती है। इसलिए शिवरात्रि के दिन इन मंत्रों का जाप जरूर करें।
वट सावित्री व्रत हिंदू धर्म की सबसे प्रमुख व्रत परंपराओं में से एक है, जिसे विशेष रूप से विवाहित महिलाएं अपने पति की दीर्घायु, सौभाग्य और समृद्ध जीवन के लिए करती हैं। इस व्रत का वर्णन महाभारत, स्कंद पुराण, और व्रतराज जैसे शास्त्रों में विस्तार से मिलता है।
हिंदू पंचांग के अनुसार, हर महीने आने वाली मासिक कार्तिगाई तिथि का विशेष धार्मिक महत्व होता है। विशेष रूप से दक्षिण भारत में यह पर्व अत्यंत श्रद्धा और भक्ति के साथ मनाया जाता है।
हिंदू पंचांग में कुछ दिन विशेष संयोग और त्योहारों के कारण अत्यंत शुभ माने जाते हैं। इस साल 26 मई भी ऐसा ही एक दिन है, जब एक नहीं बल्कि चार बड़े धार्मिक पर्व एक साथ पड़ रहे हैं।
शनि जयंती, भगवान शनि देव के प्राकट्य दिवस के रूप में मनाई जाती है। यह दिन विशेष रूप से उन भक्तों के लिए अत्यंत महत्वपूर्ण होता है, जो जीवन में शनि दोष या साढ़े साती जैसी स्थितियों से मुक्ति कामना करते हैं।