श्रावण मास केवल सावन सोमवार या नाग पंचमी तक सीमित नहीं है। यह पूरा महीना चंद्र तिथियों पर आधारित व्रतों और धार्मिक अनुष्ठानों की एक विस्तृत श्रृंखला से भरा होता है। हर दिन, हर तिथि किसी न किसी विशिष्ट व्रत और देवी-देवता की पूजा से जुड़ी होती है। आइए जानें, श्रावण मास के दौरान शुक्ल और कृष्ण पक्ष की प्रमुख तिथियों पर कौन से व्रत और पर्व होते हैं।
1. शुक्ल प्रतिपदा – रोटक व्रत
आरोग्य और संतुलित जीवन की कामना के लिए किया जाता है।
2. शुक्ल द्वितीया – औदुम्बर व्रत
भगवान दत्तात्रेय की कृपा प्राप्ति हेतु यह व्रत रखा जाता है।
3. शुक्ल तृतीया – स्वर्ण गौरी व्रत एवं हरियाली तीज
सुहागन स्त्रियों का विशेष पर्व, सौभाग्य और पति की लंबी उम्र के लिए।
4. शुक्ल चतुर्थी – दूर्वा गणपति व्रत
गणेशजी को दूर्वा अर्पित कर विघ्नों के नाश की कामना की जाती है।
5. शुक्ल पञ्चमी – नाग पंचमी
सर्पों की पूजा कर भय, विष और दोषों से मुक्ति की प्रार्थना की जाती है।
6. शुक्ल षष्ठी – सुपोदान व्रत
पारिवारिक समृद्धि और स्वास्थ्य के लिए मनाया जाता है।
7. शुक्ल सप्तमी – शीतला सप्तमी
रोगनाशक देवी शीतला माता की उपासना का दिन।
8. शुक्ल अष्टमी – देवी पवित्ररोपण
व्रत द्वारा शक्ति की आराधना और आत्मशुद्धि का भाव।
9. शुक्ल नवमी – कुमारी व्रत
कन्याओं के रूप में देवी के पूजन का विशेष पर्व।
10. शुक्ल दशमी – आशा दशमी
आशाओं की पूर्ति और सद्गुणों की प्राप्ति हेतु उपवास।
11. शुक्ल एकादशी – श्रीधर एकादशी
भगवान विष्णु के श्रीधर रूप की उपासना, व्रत और जागरण।
12. शुक्ल द्वादशी – पवित्ररोपण
विष्णु प्रतिमा पर पवित्र धागे से अलंकरण का विशेष दिन।
13. शुक्ल त्रयोदशी – कामदेव षोडश पूजा
प्रेम, आकर्षण और सौंदर्य की साधना से जुड़ा व्रत।
14. शुक्ल चतुर्दशी – विशेष शिव पूजा
महादेव के रुद्र रूप की आराधना का दिन।
15. पूर्णिमा – रक्षा बंधन, हयग्रीव जयंती, श्रावणी कर्म, उपाकर्म, सभा दीप, सर्प बलि, उत्सर्जन
पूर्णिमा को कई महत्वपूर्ण धार्मिक संस्कार और उत्सव एक साथ आते हैं, जो वेद अध्ययन, भाइयों की रक्षा, और पितरों के निमित्त समर्पित होते हैं।
1. कृष्ण तृतीया – कजरी तीज
स्त्रियों का प्रमुख व्रत, जिसमें वे पति की दीर्घायु और संतान की मंगलकामना करती हैं।
2. कृष्ण चतुर्थी – संकट चतुर्थी व बहुला चतुर्थी
गणेश उपासना के साथ गोमाता के महत्व को भी रेखांकित करने वाला दिन।
3.कृष्ण पञ्चमी – मानव कल्पादि व्रत
धार्मिक अनुशासन और युग परिवर्तन की प्रतीकात्मक साधना।
4. कृष्ण षष्ठी – बलराम जयंती
भगवान बलराम का जन्मोत्सव, शक्ति और नैतिकता की प्रेरणा।
5. कृष्ण अष्टमी – कृष्ण जन्माष्टमी
श्रावण का सबसे लोकप्रिय पर्व – भगवान श्रीकृष्ण का प्राकट्य। रात्रि जागरण, झूला और भजन-कीर्तन होते हैं।
6. कृष्ण चतुर्दशी – श्रावण शिवरात्रि
शिवजी की रात्रि में उपासना कर आत्मशुद्धि की कामना।
7. अमावस्या – पिठोर व्रत
सन्तान-सुख और पारिवारिक उन्नति के लिए माताएं यह व्रत करती हैं।
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